श्रीनगर : सेना ने 96 दिन बाद पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड को मार गिराया। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के लिडवास में हाशिम मूसा उर्फ अबू सुलेमान उर्फ आसिफ सहित 20-20 लाख के इनामी 3 आतंकियों को ढेर कर दिया। सेना की चिनार कॉर्प्स ने बताया कि ऑपरेशन महादेव के तहत यह कार्रवाई की गई। आतंकियों के शव के पास से अमेरिका निर्मित एम4 कार्बाइन, एके-47, 17 राइफल ग्रेनेड सहित कई संदिग्ध सामान बरामद हुए हैं।
ऐसे फंसे आतंकी : दो सप्ताह पूर्व गुर्जर बकरवालों ने दाचीगाम क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना दी थी। सेना, पैरा कमांडो, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की टीमें दाचीगाम क्षेत्र में आतंकियों को खोज रही थीं। रात 2 बजे आतंकियों ने चाइनीज सैटेलाइट फोन टी82 ऑन किया। इसकी लोकेशन लिडवास और दाचीगाम जंगल थे। सेना ने सुबह सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया। सुबह 8.45 बजे ड्रोन से उनकी लोकेशन ट्रेस की गई। इस दौरान पैरा कमांडरों की टीम ने जंगल में आतंकियों के टेंट को देख लिया, जहां वे सो रहे थे। चारों सुरक्षा एजेंंसियों के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। आतंकियों को भनक लग पाती, इससे पहले सुबह 11 बजे तक जवानों ने उनको घेर लिया। आतंकियों ने गोलियां चलाईं, लेकिन पहले राउंड में ही तीनों काे गोली लग गई। एक ने भागने का प्रयास भी किया, लेकिन सेना ने तीनों को मार गिराया। एजेंसियां
तीनों आतंकवादियों की पहचान
हाशिम मूसा उर्फ अबू सुलेमान उर्फ आसिफ पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था। बाकी दो आतंकी जिब्रान (जो पिछले साल सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल था) और हमजा अफगानी (तीनों पाकिस्तानी) के रूप में हुई है।
खतरनाक हथियार और सामान बरामद
- 300 मीटर तक निशाना लगाने वाली एके-47 राइफल
- 500 मीटर रेंज वाला अमेरिकी हथियार एम4 कार्बाइन
- 15-20 मीटर तक विस्फोट करने वाला हैंड ग्रेनेड
- बड़े हमले के लिए तैयार किया गया घरेलू एलइडी बम
बड़े हमले की तैयारी थी
सुरक्षाबलों को आतंकियों के पास से जितने हथियार व गोला-बारूद व खाने-पीने का सामान मिला है, उससे आशंका है कि वे किसी बड़े हमले की तैयारी में थे। सेना ने उनके सहयोगियों की तलाश तेज कर दी है। ये तीनों आतंकी संगठन लस्कर-ए-तैयबा के प्रोक्सी संगठन रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के लिए काम कर रहे थे। इन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में बाइसरन घाटी में हमला कर 26 हिन्दू पर्यटकों की जान ले ली थी। आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछा और जो लोग इस्लामिक आयतें नहीं पढ़ सके, उन्हें गोलियों से भून दिया। मरने वालों में 25 भारतीय और एक नेपाली हिन्दू नागरिक शामिल थे।