

काजू : काजू में विटामिन ए,बी,सी पाये जाते हैं। इनके सेवन से अर्श, कब्ज, खूनी तथा बादी अर्श, गुल्म, फुंसियां, भूख न लगना, वात विकार, श्वेत कुष्ठ, बल-वीर्य, रक्तविकार दूर होते हैं। यह शरीर का वजन बढ़ाता है।
किशमिश : किशमिश में विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से लिवर, आंतों की निर्बलता, पुरानी कब्ज, ज्वर, खांसी, दमा, हृदय रोग, हृदय शूल, भूख न लगना, रक्तपित्त, रक्तदोष व अधिक प्यास की शिकायत दूर होते हैं।
चिरौंजी : चिरौंजी बल बढ़ाने वाली और पित्त और कफ को कम करने वाली है। रक्त दोष व जलन को दूर करती है।चिरौंजी को पीसकर चेहरे पर उबटन लगाने से चेहरे पर कान्ति बढ़ती है। शरीर पर लगाने से सुन्दरता लाती है और झांई, मुंहासों, फुंसी और चर्म रोग को दूर कर देती है।
चिलगोजा : चिलगोजा फेफड़ों पर चिपके हुए पुराने कफ को निकाल देता है। क्षय तथा क्षयजनित खांसी में अत्यन्त लाभदायक होता है। यह पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक, मस्तिष्क की निर्बलता, जिगर की सूजन को दूर करने वाला होता है। यह भूख बढ़ाने वाला, रक्त को शुद्ध करने वाला और कब्ज को यह दूर करने वाला होता है।
छुहारा : छुहारे में विटामिन बी होता है, इनका सेवन करने से रक्त शुद्ध होता है। यह कब्जकारक, देर से पचने वाला और वीर्यवर्धक होता है। आंखों और सिर के रोगों के लिए यह लाभकारी होता है। इनकी गुठली को पानी में घिसकर सिर में लगाने से सिर दर्द रोग दूर हो जाता है। छुहारे की गुठली को जलाकर इसकी राख में मक्खन मिलाकर छोटी-छोटी फुंसियों पर लगाने से फुंसी ठीक हो जाती है।
पिस्ता : यह पुंसत्व को बढ़ाने वाला और रक्त को शुद्ध करता है। यह कफ को नष्ट कर देता है।
मखाना : मखाना का लावा शीतल, बलवर्धक, रक्तपित्त निवारक, कामला रोग में अधिक हितकर होता है। इनका लावा वीर्य बढ़ाने वाला, प्रमेह नष्ट करने वाला और गर्भ को पुष्ट करने वाला होता है। मखाने की खीर बलदायक होती है। मखाना आर्थराइटिस के लिए भी अच्छा है।
मुनक्का : मुनक्का में विटामिन बी और सी मिलता है। इनके सेवन से निर्बलता, पुराना कब्ज, पेशाब की कमी, दमा, खांसी, ज्वर, दाह, तृष्णा, अरुचि रोगों में हितकारी होता है। इनसे शरीर पुष्ट होता है और बल-वीर्य बढ़ता है। यह क्षय के रोगियों को अत्यन्त लाभदायक और बेचैनी को दूर करने वाला होता है।
मूंगफली : मंगफली में विटामिन ए और बी पाया जाता है। यह मांसवर्धक होती है। मूंगफली को भिगो कर अंकुर निकल आने पर इनका प्रयोग करने से अत्यन्त बलकारक और पुंसत्व देने वाली होती है।
रामदाना : रामदाने का सेवन करने से मैदे व जिगर की खराबी, जुकाम, कंठमाला, हृदय रोग, रक्त दोष, पित्त विकार, मस्तिष्क विकार रोगों के लिए यह हितकारी होता है। इनको पीसकर रोटी बनाकर, पूड़ी बनाकर या भूनकर, लावा बनाकर व्रत के दिनों में फलाहार किया जाता है।
साबूदाना : साबूदाने में थोड़ी मात्रा में विटामिन बी पाया जाता है। शरीर के बल को बनाये रखता है। इसकी रोटी रोगियों, दुर्बलों के लिए हितकारी है। पानी में उबालकर चीनी और थोड़ा दूध अथवा नमक मिलाकर रोगी को खिलाने से हितकारी होता है। इसके पानी से धोने से बाल सुन्दर चिकने, मजबूत और साफ होते हैं।