12 राज्य करेंगे UCT योजनाओं पर 1.68 लाख करोड़ का खर्च

तीन साल पहले तक सिर्फ दो राज्य चला रहे थे UCT योजनाएं
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12 राज्य महिलाओं के लिए UCT योजनाओं पर करेंगे 1.68 लाख करोड़ रुपये खर्च
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UCT बनी प्रमुख कल्याणकारी योजना

प्राथमिक लाभार्थियों का चयन आय सीमा, आयु वर्ग के आधार पर

नयी दिल्ली : देश के 12 राज्य 2025-26 में महिलाओं के लिए बिना शर्त नकद अंतरण (UCT) योजनाओं पर सामूहिक रूप से 1.68 लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे। तीन साल पहले तक केवल दो राज्य महिलाओं के लिए ऐसी योजनाएं चला रहे थे।

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मकसद कमजोर परिवारों की महिलाओं का सशक्तीकरण

मकसद कमजोर परिवारों की महिलाओं को सशक्त बनाना

विचारक संस्था ‘PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च’ की नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि UCT योजनाओं को लागू करने वाले इन 12 राज्यों में से छह ने इस वर्ष राजस्व घाटा होने का अनुमान लगाया है, जो महिला-केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं पर बढ़ते व्यय से राजकोष पर दबाव को उजागर करता है। हालांकि UCT योजनाओं पर खर्च को छोड़कर राजस्व संतुलन को समायोजित करने से इन राज्यों के राजकोषीय संकेतकों में सुधार दिखाई देता है। UCT योजनाओं का उद्देश्य मासिक प्रत्यक्ष लाभ भुगतान के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं को सशक्त बनाना है। कई राज्यों में यह एक प्रमुख कल्याणकारी योजना बन गयी है।

असम, बंगाल में बजटीय आवंटन में क्रमशः 31% और 15% की भारी वृद्धि

PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार महिलाओं को बड़े पैमाने पर बिना शर्त नकद अंतरण (UCT) की सुविधा देने वाले राज्यों की संख्या 2022-23 में दो राज्यों से बढ़कर 2025-26 में 12 राज्यों तक हो गयी है। इन योजनाओं के प्राथमिक लाभार्थियों का चयन आय सीमा, आयु वर्ग और अन्य कारकों के आधार पर किया जाता है। असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने पिछले वर्ष की तुलना में महिला UCT योजनाओं पर बजटीय आवंटन में क्रमशः 31 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की भारी वृद्धि की है।

योजनाएं बढ़ा रही राज्य के बजट पर दबाव

महिलाओं को नकदी मदद करने की योजनाओं में तमिलनाडु की ‘कलैगनार मगलिर उरीमई थोगई थित्तम’, मध्य प्रदेश की ‘लाडली बहना योजना’ और कर्नाटक की ‘गृह लक्ष्मी योजना’ शामिल हैं। इन योजनाओं में प्रत्येक पात्र परिवारों की महिलाको 1,000 रुपये से 1,500 रुपये तक की मासिक सहायता प्रदान की जाती है। हालांकि रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि ये योजनाएं राज्य के बजट पर दबाव बढ़ा रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इन योजनाओं को बंद कर दिया जाये तो राज्यों की वित्तीय स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। उदाहरण के लिए कर्नाटक का मौजूदा बजटीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.6 प्रतिशत से घटकर 0.3 प्रतिशत के अधिशेष पर पहुंच जायेगा। इसी प्रकार, मध्य प्रदेश का अधिशेष 0.4 प्रतिशत से बढ़कर 1.1 प्रतिशत हो जायेगा।

भारतीय रिजर्व बैंक ने दी थी चेतावनी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पहले चेतावनी दी थी कि महिलाओं, युवाओं और किसानों के लिए सब्सिडी और नकद अंतरण पर बढ़ते खर्च से उत्पादक खर्च के लिए राजकोषीय गुंजाइश कम हो सकती है। कुछ राज्यों ने लागत प्रबंधन के लिए लाभों को पहले ही समायोजित कर लिया है। महाराष्ट्र ने अप्रैल 2025 में ‘मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना’ के तहत मासिक भुगतान में कटौती की जबकि झारखंड ने 2024 के अंत तक ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ के तहत भुगतान बढ़ाकर 2,500 रुपये प्रति माह कर दिया।

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