लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए 20 साल लगातार संघर्ष किया
‘टाइम पत्रिका’ ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल किया
2024 में हुए वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुनाव में प्रमुख चेहरा थीं लेकिन चुनाव नहीं लड़ने दिया गया
ओस्लो (नॉर्वे) : वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। मारिया ने वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव लाने के लिए 20 साल लगातार संघर्ष करने के लिए यह पुरस्कार मिला है। उनके लिए यह पुरस्कार इसलिए भी खास है क्योंकि अमोरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दौड़ में थे। मारिया को वेनेजुएला की आयरन लेडी भी कहा जाता है।
ओस्लो में प्रदान किया जाने वाला एकमात्र नोबेल पुरस्कार
नॉर्वे की नोबेल समिति के अध्यक्ष जॉर्गन वात्ने फ्रिडनेस ने कहा कि वेनेजुएला में राष्ट्रपति पद की विपक्ष की उम्मीदवार रहीं मारिया (58) कभी गंभीर रूप से विभाजित रहे विपक्ष को एकजुट करने वाली प्रमुख शख्सियत हैं। एक ऐसा विपक्ष जिसने स्वतंत्र चुनाव और प्रतिनिधि सरकार की मांग को समान रूप से उठाया। विशेषज्ञों का कहना है कि समिति आमतौर पर दीर्घकालिक शांति, अंतरराष्ट्रीय बंधुत्व को बढ़ावा देने और उन संस्थानों के कार्यों पर ध्यान केंद्रित करती है जो इन लक्ष्यों को मजबूत करते हैं। मारिया 2024 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में प्रमुख चेहरा थीं लेकिन उनको चुनाव लड़ने से रोक दिया गया। नोबेल शांति पुरस्कार एकमात्र पुरस्कार है जो ओस्लो, नॉर्वे में प्रदान किया जाता है।
मारिया के वेनेजुएला छोड़ने पर प्रतिबंध
वेनेजुएला में लोकतंत्र आंदोलन की नेता के रूप में मारिया हालिया समय में लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस के असाधारण उदाहरणों में से हैं। मारिया 2011 से 2014 तक वेनेजुएला की राष्ट्रीय सभा की निर्वाचित सदस्य के रूप में काम कर चुकी हैं। मारिया को 2018 में ‘बीबीसी’ की 100 महिलाओं में में सूचीबद्ध किया गया था। इसी साल, 2025 में ‘टाइम पत्रिका’ ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल किया। वेनेजुएला में निकोलस मादुरो सरकार ने मारिया को वेनेजुएला छोड़ने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
ट्रंप का सपना टूटा, मांगने पर भी नहीं मिला
मारिया को नोबले पुरस्कार प्रदान किये जाने के ऐलान के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सपना टूट चुका है। अपनी तमाम कोशिशों और दावों के बावजूद ट्रंप यह पुरस्कार नहीं जीत सके। यहां तक कि कई युद्ध रुकवाने की उनकी कोशिश और दावा भी काम नहीं आया। इसके पीछे कई वजहें बतायी जा रही हैं। माना जा रहा है कि ट्रंप का बहुपक्षीय संस्थाओं के प्रति उपेक्षा और जलवायु परिवर्तन पर उनका रुख भी उनके खिलाफ गया। इसके अलावा नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए लगातार दावा करना भी उनके खिलाफ गया है। गौरतलब है कि ट्रंप वकालत करने वालों में उनकी कैबिनेट और वॉइट हाउस भी इस अपील में शामिल रहे। इसके अलावा पाकिस्तान सहित कुछ अन्य देशों ने भी ट्रंप को नोबेल पुरस्कार दिये जाने की मांग की। ट्रंप का दावा है कि उन्होंने दुनिया में सात युद्ध रुकवाये हैं। ऐसा आज तक कोई नहीं कर पाया है।