नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता और आरएसएस के करीबी माने जाने वाले नितिन गडकरी को लेकर विवाद उठने लगा है। आजकल दक्षिणपंथियों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है क्योंकि सोशल मीडिया पर चल रही बहस गहरी दरारों को उजागर कर रही है।
हाल के कदमों से आरएसएस और भाजपा के बीच सौहार्द के संकेत मिलने के बाद, यह माना जा रहा था कि शांति बनी रहेगी। लेकिन दक्षिणपंथी सोशल मीडिया हैंडल्स द्वारा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के कारनामों को उजागर कर अचानक निंदा ने कई लोगों को चौंका दिया है।
नितिन गडकरी पर उठ रहे हैं सवाल
कभी भाजपा के सबसे कुशल मंत्री माने जाने वाले और भारत के राजमार्गों को नया रूप देने और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण का श्रेय लेने वाले नितिन गडकरी अब खुद लगातार हमलों का शिकार हो रहे हैं। उन पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को भारी कर्ज में डुबोने, टोल टैक्स में अत्यधिक वृद्धि करने और अपने बेटों को अरबों रुपये का मुनाफा पहुंचाने के लिए सरकार पर दबाव डालकर पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का नियम बनाने के आरोप हैं, जिससे वाहनों की माइलेज बुरी तरह घटी है, गाड़ियों के इंजन व पुर्जों में जंग लगने लगा है।
बेटे को फायदा पहुंचाने का लग रहा है आरोप
हैरानी की बात है कि अमेरिका जैसे देशों में भी मात्र 10 प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जाता है, वह भी वैकल्पिक है, भारत की तरह अनिवार्य नहीं। बेटों को तगड़ा मुनाफा पहुंचाने वाले गडकरी की ईमानदारी की छवि अब कालिख में बदल रही है, मीम्स, व्यंग्यात्मक रील और मज़ाक उड़ाने वाले हैशटैग लगभग रोजाना ट्रेंड कर रहे हैं, जिसमें भाजपा के आलोचक और कट्टर दक्षिणपंथी समर्थक, दोनों ही शामिल हो रहे हैं।
वहीं कुछ लोग, विशेषकर गडकरी खेमे के लोग इसे सिर्फ नीतिगत प्रतिक्रिया से कहीं ज्यादा कुछ मान रहे हैं। उनकी नजर में गडकरी की कभी-कभार की गई बेबाक टिप्पणियों- जिन्हें सरकार की कुछ प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने के तौर पर देखा जा रहा है, जिन्होंने कथित तौर पर सत्ता केंद्र को परेशान कर दिया है।
क्या छोड़ना पड़ेगा पद?
वहीं परिवार को भारी लाभ पहुंचाने के आरोपों के बाद अब मंत्रिमंडल से उनकी छुट्टी तय मानी जा रही है, ऐसे में सोशल मीडिया पर अचानक गडकरी की पोल-पट्टी खुलने में किसी साजिश की तरह देखा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या ये सोशल मीडिया हमले गडकरी के लिए चेतावनी संकेत हैं या परिवार के भीतर गहरी दरार का संकेत हैं।
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हैरानी की बात है कि दो विपक्षी दलों कांग्रेस और टीएमसी ने गडकरी के बेटों पर सरकार की इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल नीति से मुनाफाखोरी का आरोप लगाया है। आग में घी डालने का काम यह दावा कर रहा है कि उनके बेटे की कंपनी सिग्नेट इकोटेक का मूल्यांकन आसमान छू रहा है, 2021 यह 5,990 करोड़ रुपये था जो 2024 में भारी बढ़ोत्तरी के साथ 9,591 करोड़ तक जा पहुंचा है, जो सीधे तौर पर हितों के संभावित टकराव का संकेत देता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पिता सरकार में बैठकर नीतियां बनाते हैं, जबकि बेटे पैसा कमाते हैं। क्या कुछ पक रहा है? गडकरी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे अमीर लॉबी का हिस्सा बताया है, लेकिन प्रमाण तो चीख-चीख कर गडकरी के खिलाफ गवाही दे रहे हैं।