अरुणाचल प्रदेश में रिकॉर्ड तोड़ बीजांड संख्या वाली नयी बर्बेरिस प्रजाति की खोज

सीएसआईआर-एनईआईएसटी, जोरहाट के शोधकर्ताओं की उपलब्धि
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तवांग के जंगलों में मिली नयी बर्बेरिस (जंगली बेरी)
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ईटानगर : वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-उत्तर पूर्व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-एनईआईएसटी ), जोरहाट के शोधकर्ताओं ने जैव विविधता से भरपूर तवांग के ऊंचाई वाले जंगलों में बर्बेरिस (जंगली बेरी) की एक नयी प्रजाति की खोज की है।

ज्ञात 400-500 प्रजातियों में सबसे अधिक बीजांड संख्या

यह खोज सीएसआईआर, नयी दिल्ली के घटक संस्थान, एनईआईएसटी, जोरहाट के वनस्पति विज्ञानी एवं शोध विशेषज्ञ बिपांकर हाजोंग और विज्ञानी डॉ. पंकज भराली तथा ब्रिटेन के विज्ञानी डॉ. जूलियन हार्बर द्वारा चल रहे ‘पुष्प सर्वेक्षण’ के दौरान की गयी। डॉ. भराली ने बताया कि बर्बेरिस मायरियोवुला नाम की इस प्रजाति में एक अंडाशय में 17 तक बीजांड की अभूतपूर्व संख्या है, जो इसे दुनिया भर में ज्ञात 400-500 प्रजातियों में सबसे अधिक बीजांड संख्या है।

पूर्वी हिमालय बर्बेरिस के लिए एक हॉटस्पॉट के रूप में उभरा

उन्होंने कहा कि जैव विविधता से भरपूर यह पूर्वी हिमालय बर्बेरिस प्रजातियों के लिए एक हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है, जिनमें विज्ञानी कई प्रजातियों की अभी भी पहचान नहीं कर पाये हैं। उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा कि पहले एशिया में दर्ज की गयी अधिकांश बर्बेरिस प्रजातियों में प्रति अंडाशय 15 से कम बीजांड होते थे। बी कैलियंथा और बी त्सांगपोएंसिस सहित कुछ प्रजातियों, मुख्यतः तिब्बत और नेपाल की एकल-पुष्प या कम-पुष्प वाली पुष्पगुच्छ प्रजातियों, में यह संख्या पायी गयी है। नयी प्रजाति बी मायरियोवुला अपने एकल पुष्प में 17 तक बीजांडों के साथ इन प्रजातियों से आगे निकल जाती है, जो इसे इस वंश में अद्वितीय बनाती है।

बर्बेरिडेसी परिवार से संबंधित है बर्बेरिस

डॉ. भराली का कहना है कि हारबर (2020) के अनुसार उच्च बीजांड संख्या वाले अंडाशय दुर्लभ हैं और आमतौर पर केवल कुछ ही एशियाई प्रजातियों में पाये जाते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया की उनके निष्कर्ष न केवल इस दुर्लभ समूह में जुड़ते हैं बल्कि बर्बेरिस में बीजांड संख्या की ज्ञात सीमा को भी आगे बढ़ाते हैं, जो इस हिमालयी वंश में एक संभावित अनुकूली विशेषता का संकेत देता है। बर्बेरिस वंश, जो बर्बेरिडेसी परिवार से संबंधित है, इस समूह में सबसे बड़ा है और मुख्य रूप से एशिया में पाया जाता है, जिसकी लगभग 285 प्रजातियां चीन में और 22 नेपाल में पायी जाती हैं। इतनी विविधता के बावजूद पश्चिमी भूटान और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों का अभी भी बहुत कम अन्वेषण हुआ है।

बर्बेरिस सेटिफोलिया को पुनर्वर्गीकृत किया

शोध दल ने पहले बर्बेरिस सेटिफोलिया को पुनर्वर्गीकृत किया था, जो इसी क्षेत्र की एक प्रजाति है जिसमें 13 तक बीजांड होते हैं। विश्व स्तर पर बड़ी संख्या में बीजांड वाली बर्बेरिस प्रजातियां एशिया के बाहर शायद ही कभी देखी जाती हैं। दक्षिण अमेरिका की केवल दो प्रजातियां बी कॉम्बेरि और बी माइक्रोफिला दस से अधिक बीजांडों के साथ प्रलेखित की गयी हैं, जो बी मायरियोवुला की विशिष्टता को और भी स्पष्ट करती हैं।

इन अज्ञात घाटियों से और अधिक वनस्पति खजाने खोज सकते हैं

शोध दल का कहना है कि यह खोज न केवल हिमालयी वनस्पति विविधता के बारे में हमारी समझ को समृद्ध करती है बल्कि स्थानिकता के केंद्र के रूप में तवांग क्षेत्र के पारिस्थितिक महत्व को भी रेखांकित करती है। निरंतर शोध के साथ हम इन अज्ञात घाटियों से और अधिक वनस्पति खजाने खोज सकते हैं। ये निष्कर्ष कम खोजे गये क्षेत्रों, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और विकास के कारण पारिस्थितिक दबाव झेल रहे क्षेत्रों में व्यवस्थित क्षेत्र कार्य के महत्व को उजागर करते हैं। शोधकर्ताओं ने व्यापक क्षेत्र अभियान के दौरान सभी आवश्यक अनुमतियों और रसद सहायता के लिए अरुणाचल प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के छिपे हुए खजानों से विज्ञान की और अधिक खोजों के लिए यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा।

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