कोलकाता: शारदीय नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के भिन्न रूप को समर्पित होता है. आज 10 अक्टूबर, गुरूवार के दिन मां दुर्गा के सातवें रूप मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मां कालरात्रि को कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। मां कालरात्रि साहस और वीरता का प्रतीक हैं और मां की पूजा करने पर व्यक्ति को सिद्धि प्राप्त होती है। आज हम आपको बताएंगे किस तरह मां कालरात्रि की पूजा संपन्न की जा सकती है, मां का प्रिय रंग कौनसा है, मां को किन चीजों का भोग लगाना शुभ माना जाता है और किन मंत्रों के उच्चारण से मां कालरात्रि की पूजा संपन्न की जा सकती है।
पूजा की विधि:
- स्नान और शुद्धता: सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- व्रत का संकल्प: मां का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
- गंगाजल का छिड़काव: मां की प्रतिमा के समक्ष गंगाजल छिड़कें।
- भोग अर्पित करें: लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें और मां को पुष्प, रंगोली, कुमकुम, मिष्ठान, पंचमेवा, फल और शहद अर्पित करें।
- मंत्रों का जाप: मां कालरात्रि के मंत्रों का उच्चारण करें:
- “ॐ कालरात्र्यै नमः”
- “एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता…”
- आरती: पूजा के अंत में मां की आरती करें।
मां कालरात्रि के लक्षण:
- मां का शरीर अंधकार की तरह काला है।
- उनके मुंह से ज्वाला निकलती है और उनके लंबे, बिखरे हुए बाल हैं।
- मां के हाथों में तलवार और लोहे के शस्त्र होते हैं, साथ ही वरमुद्रा और अभय मुद्रा में भी हैं।
प्रिय रंग और भोग:
- मां कालरात्रि का प्रिय रंग लाल है, इसलिए इस रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- गुड़ मां का अतिप्रिय भोग है, इसलिए इसे अर्पित करना चाहिए। गुड़ से बनी मिठाइयां और पकवान भी अर्पित किए जा सकते हैं।
इस दिन मां कालरात्रि की आराधना से सभी कठिनाइयों से मुक्ति और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
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