नैहाटी: पेंशन और ग्रेच्युटी के लिए तरस रहे सेवानिवृत्त कर्मचारी, नगर पालिका के सामने किया प्रदर्शन

Naihati: Retired employees, yearning for their pensions and gratuity, staged a protest in front of the municipality.
नैहाटी पालिका का फोटो REP
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निधि, सन्मार्ग संवाददाता

नैहाटी: उत्तर 24 परगना जिले की नैहाटी नगर पालिका में पिछले चार महीनों से पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ न मिलने के कारण आक्रोशित पूर्व कर्मचारियों ने बुधवार को नगर पालिका भवन के सामने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों का कहना है कि पांचवां महीना शुरू होने को है, लेकिन अभी तक न तो पेंशन मिली है और न ही ग्रेच्युटी और प्रोविडेंट फंड का पैसा।

दवा खरीदने के भी पैसे नहीं: कर्मचारियों का दर्द

आंदोलनकारी पेंशनभोगियों ने अपना दुख साझा करते हुए बताया कि जीवन के इस पड़ाव पर वे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। प्रदर्शनकारियों में शामिल एक बुजुर्ग कर्मचारी ने कहा, "इस उम्र में हमारे लिए सबसे जरूरी चीज दवाइयां हैं। पेंशन न मिलने के कारण अब हमारे पास रोजमर्रा की दवाएं खरीदने तक के पैसे नहीं बचे हैं। अगर हमें समय पर पेंशन नहीं मिली, तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाएगा।"

चेयरमैन ने स्वीकार किया आर्थिक संकट

नैहाटी नगर पालिका के चेयरमैन अशोक चटर्जी ने कर्मचारियों की समस्याओं को जायज ठहराते हुए स्वीकार किया कि नगर पालिका वर्तमान में भारी आर्थिक तंगी से गुजर रही है। उन्होंने कहा, "यह सच है कि हम पिछले कुछ महीनों से पेंशन नहीं दे पाए हैं। फंड की कमी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। हमने इस संबंध में संबंधित सरकारी विभाग को पत्र लिखकर जानकारी दी है।"

चेयरमैन ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकार से जल्द ही फंड जारी हो जाएगा। फंड मिलते ही कम से कम एक या दो महीने की बकाया पेंशन का भुगतान तुरंत कर दिया जाएगा।

विधायक से बातचीत और भविष्य की चिंता

विरोध प्रदर्शन के दौरान नैहाटी के विधायक सनत दे भी मौजूद रहे और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बात कर उनकी समस्याओं को सुना। हालांकि प्रशासन की ओर से जल्द समाधान का भरोसा दिया गया है, लेकिन कर्मचारी अभी भी अनिश्चितता के माहौल में हैं। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक पैसा उनके बैंक खातों में नहीं आ जाता, उनका संघर्ष जारी रहेगा।

फिलहाल, नगर पालिका के गेट पर धरने और नारेबाजी के कारण इलाके में तनाव का माहौल देखा गया। अब सबकी नजरें राज्य सरकार के फंड आवंटन पर टिकी हैं कि कब इन बुजुर्ग कर्मचारियों को उनकी मेहनत की कमाई वापस मिलती है।

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