

कोलकाता: नकली दवाओं की जांच में उत्तर प्रदेश की कुछ कंपनियों के नाम सामने आए हैं। उनमें से कुछ दवा निर्माता हैं तो कुछ वितरक। इस सिलसिले में राज्य के औषधि नियंत्रण विभाग ने पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश औषधि नियंत्रण विभाग से उन कंपनियों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी। नवान्न सूत्रों के अनुसार उस पत्र का उत्तर काफी विलंब के बाद पिछले गुरुवार को आया। इस बेवजह विलंब से राज्य सचिवालय नवान्न नाराज है। राज्य प्रशासन को पूरा विश्वास है कि यूपी ड्रग कंट्रोल के इस जवाब के आधार पर किसी भी तरह से जांच को आगे बढ़ाना संभव नहीं है। इसे जांच में असहयोग के रूप में देखा जा रहा है। इस पर अगले कदमों पर भी चर्चा शुरू हो गई है और पता चला है कि ममता सरकार फिर से यूपी की योगी सरकार को जवाबी पत्र भेजने जा रही है।
अब तक प्राप्त जवाब बहुत अस्पष्ट और असंतोषजनक है
सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पहले राज्य सचिवालय नवान्न ने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में आने वाली दवाओं की कई खेपों में धोखाधड़ी के सबूत मिलने के बाद विस्तृत जानकारी मांगी थी। राज्य सरकार का मानना है कि अब तक प्राप्त जवाब बहुत अस्पष्ट और असंतोषजनक है। सरकार का मानना है कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार उन लोगों के समूह को जवाब देकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रही है जो किसी न किसी तरह से इसके लिए जिम्मेदार हैं, भले ही यह मानव जीवन से जुड़ा मामला है। इसीलिए पश्चिम बंगाल सरकार एक बार फिर पत्र भेजकर इसकी जानकारी देने आगाह कर रही है। तृणमूल कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है। पार्टी प्रवक्ताओं के अनुसार, जब देश में दवाओं के नियमन के लिए केन्द्रीय नियामक संस्था सीडीएससीओ मौजूद है, तो इतनी बड़ी मात्रा में मिलावटी दवाएं बाजार में कैसे फैल गईं? ऐसे में यह भी सवाल है कि सीडीएससीओ की मंजूरी के बिना कोई भी दवा बाजार में नहीं बेची जा सकती तो फिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?