

सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के सांसद बिष्णु पद रे ने द्वीपों में लागू ‘सर्किल रेट’ (भूमि के मानक मूल्य) प्रणाली की वैधता पर गंभीर सवाल उठाते हुए प्रशासन से इसकी कानूनी समीक्षा और आवश्यक सुधार की मांग की है। उन्होंने प्रशासन को चेताया कि वर्तमान प्रणाली कई संवैधानिक, कानूनी और राजकोषीय त्रुटियों से ग्रस्त है, जिसे तत्काल दुरुस्त किया जाना चाहिए।
सांसद ने 10 अक्टूबर 2025 को पंजीकरण और राजस्व विभागों की प्रस्तावित बैठक से पहले मुख्य सचिव को एक विस्तृत पत्र भेजकर अपनी आपत्तियां दर्ज करायीं। उन्होंने लिखा कि मौजूदा प्रणाली भारतीय स्टाम्प अधिनियम या पंजीकरण अधिनियम के किसी स्पष्ट प्रावधान पर आधारित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्टाम्प अधिनियम का संबंध केवल दस्तावेजों से है, न कि भूमि के मूल्य निर्धारण से।
रे ने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा 'सर्किल रेट' निर्धारण के लिए कोई वैध नियमावली या अधिसूचना जारी नहीं की गई है, जिससे यह प्रणाली संविधान के अनुच्छेद 265 का उल्लंघन करती है। अनुच्छेद 265 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विधिक प्राधिकरण के बिना कोई भी कर नहीं लगाया जा सकता।
सांसद ने यह भी बताया कि भूमि दर निर्धारण का अधिकार अंडमान एवं निकोबार भूमि राजस्व एवं भूमि सुधार विनियमन, 1966 की धारा 45 के अंतर्गत निहित है, जिसमें दर तय करने से पूर्व सार्वजनिक प्रकाशन, आपत्ति आमंत्रण और प्रशासक की स्वीकृति जैसी प्रक्रिया का पालन आवश्यक होता है।
उनका आरोप है कि प्रशासन ने इन प्रक्रियाओं का पालन किए बिना ही सर्किल रेट बढ़ा दिए, जिससे न केवल संपत्ति के मूल्यांकन और कर निर्धारण में विकृति आई, बल्कि हाल के वित्तीय घोटाले में बैंकों द्वारा दिए गए ऋण के मूल्यांकन का आधार भी यही दरें बनीं।
सांसद रे ने मांग की है कि सर्किल रेट से जुड़े सभी संशोधनों का फॉरेंसिक ऑडिट कराया जाए ताकि दोषियों की जिम्मेदारी तय हो सके। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में सर्किल रेट निर्धारण के लिए एक पारदर्शी, कानूनी और जन-सुनवाई पर आधारित प्रणाली अपनाई जाए, जिससे जनता के अधिकारों और सरकारी विश्वसनीयता की रक्षा हो सके।