एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष ‘एकजुट’, संसद में सरकार को घेरने की तैयारी

मानसून सत्र के लिए सरकार और विपक्ष ने कसे अपने तीर और तरकस
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नयी दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में बिहार में मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) को लेकर विपक्ष बड़े राजनीतिक संग्राम की तैयारी में जुट गया है। इस मुद्दे पर ‘इंडिया’ की घटक पार्टियां एकजुट हो गयी हैं और कांग्रेस की अगुआई में निर्वाचन आयोग के बहाने सरकार को घेरने की रणनीति बना रही हैं। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है और 12 अगस्त तक चलेगा।

कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने की तैयारी

सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और तृणमूल कांग्रेस कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने की तैयार कर रही हैं। यह एक संसदीय प्रक्रिया है जिसका उपयोग सदन में किसी अहम मामले पर तत्काल चर्चा करने के लिए कार्यवाही स्थगित करने के लिए किया जाता है। सरकार की सभी मुद्दों पर संसद में चर्चा के लिए आम सहमति बनाने की कोशिशों के बावजूद बिहार की चुनावी सियासत बड़ी बाधा बन सकती है। हालांकि सरकार के लिए राहत की बात यह है कि उच्चतम न्यायालय ने एसआईआर पर रोक नहीं लगायी है। अगली सुनवायी 28 जुलाई को होगी। सरकार सदन में मामले के न्यायालय के विचाराधीन होने का हवाला देते हुए की चर्चा से बचने की कोशिश कर सकती है। इसके अलावा विपक्ष पहलगाम आतंकवादी हमले, मणिपुर हिंसा, किसानों की समस्याएं और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी सरकार को घेर सकता है।

47 दिन पहले हुई थी मानसून सत्र की घोषणा

दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने मानसून सत्र की घोषणा 47 दिन पहले ही कर दी थी। आमतौर पर सत्र शुरू होने की जानकारी एक हफ्ता या 10 दिन पहले दी जाती है। इतने समय पहले सत्र की घोषणा करने का कारण यह था कि विपक्ष उस समय ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा था। भारत के इतिहास में कभी भी 47 दिन पहले सत्र की घोषणा नहीं हुई। तब कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि प्रधानमंत्री विशेष सत्र से तो भाग सकते हैं लेकिन मानसून सत्र से नहीं।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जानकारी दे सकती है सरकार

विपक्ष पहलगाम हमले में खुफिया तंत्र की नाकामी, सैन्य ऑपरेशन के दौरान विदेशी हस्तक्षेप, ट्रम्प की मध्यस्थता के दावों और सेना के अभियान को अचानक रोके जाने जैसे मुद्दों पर सरकार को घेर सकता है। सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पहलुओं की जानकारी दे सकती है। एक बड़ा एजेंडा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में लगी आग के दौरान नकदी जलने के मामले में उनके खिलाफ महाभियोग लाने का भी है। सरकार को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर उसे सभी दलों का समर्थन मिलेगा। महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने से पहले न्यायमूर्ति वर्मा इस्तीफा नहीं देते तो संसद में इस पर तीखी बहस हो सकती है। सत्र में सरकार अपने आर्थिक सुधार एजेंडे को आगे बढ़ा श्कती है। सरकार चाहती है सत्र के दौरान डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक, जीएटी न्यायाधिकरण विधेयक, सार्वजनिक खरीद विधेयक, दिवालियापन एवं ऋणशोधन संहिता संशोधन विधेयक जैसे कानूनों पर प्रगति हो।

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