मानसून 8 दिन पहले पहुंचा केरल, 16 साल में पहली बार हुआ ऐसा

इस साल सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है : आईइमडी
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नयी दिल्ली : दक्षिण-पश्चिमी मानसून अपने अनुमानित समय एक जून से 8 दिन पहले ही शनिवार को केरल पहुंच गया। सोलह साल में 16 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है कि मानसून इतनी जल्दी भारतीय मुख्य भूमि पर पहुंचा है। मानसून 2009 में 23 मई को केरल पहुंचा था। इसके चलते केरल में जबरदस्त बारिश हो रही है। मौसम विज्ञान ने इस साल मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया है।

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1990 में 13 दिन पहले पहुंचा था मानसून

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार दक्षिण-पश्चिमी मानसून सामान्यतः एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में पहुंचता है। उत्तर-पश्चिमी भारत से इसकी वापसी 17 सितंबर के आसपास शुरू हो जाती है और 15 अक्टूबर तक यह पूरी तरह से वापस चला जाता है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार मानसून दक्षिणी राज्य में पिछले साल 30 मई को, 2023 में आठ जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून को, 2019 में आठ जून को और 2018 में 29 मई को आया था। पिछले पांच दशों के आंकड़ों से पता चलता है कि मानसून केरल में सबसे जल्दी 1990 में (19 मई को) पहुंचा था जो सामान्य तिथि से 13 दिन पहले था।

4 जून तक मध्य और पूर्वी भारत को कर सकता है कवर

आईएमडी ने कहा कि मानसून चार दिन से देश से करीब 40-50 किलोमीटर दूर अटका था और शुक्रवार शाम आगे बढ़ा। इसके शनिवार को ही तमिलनाडु और कर्नाटक के कई इलाकों में भी पहुंचने की संभावना है। एक हफ्ते में देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों जबकि 4 जून तक मध्य और पूर्वी भारत को कवर कर सकता है। आम तौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास लौटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार मानसून की शुरुआत की तारीख और सीजन के दौरान कुल बारिश के बीच कोई संबंध नहीं है। इसके जल्दी या देर से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा। देश के अन्य हिस्सों में मानसून का आगमन वैश्विक, क्षेत्रीय एवं स्थानीय सहित कई कारकों से तय होता है।

खारिज हो गयी ‘अल नीनो’ की स्थिति की संभावना

आईएमडी ने अप्रैल में इस साल मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया था जिससे ‘अल नीनो’ की स्थिति की संभावना खारिज हो गयी। ‘अल नीनो’ प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी है।आईएमडी के अनुसार 50 साल के औसत 87 सेंटीमीटर के 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच की बारिश को ‘सामान्य’ माना जाता है। भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून महत्वपूर्ण है। कृषि क्षेत्र लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका में सहयोग प्रदान करता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। मानसून देश भर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए अहम जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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