इस बार मानसून में देश में सामान्य से अधिक होगी बारिश : आईएमडी

लेकिन अप्रैल से जून की अवधि में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ेगी
monsoon_rains
सामान्य से ज्यादा होगी मानसून की बारिश
Published on

नयी दिल्ली : भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मानसून के मौसम के दौरान ‘अल नीनो’ की स्थिति बनने की संभावना को भी खारिज करते हुए मंगलवार को अनुमान जताया कि देश में इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। मौसम विभाग की यह भविष्यवाणी कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि कृषि क्षेत्र का भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18 फीसदी का योगदान है। हालांकि मौसम विभाग ने यह भी कहा कि देश के कई हिस्से पहले से ही भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं और अप्रैल से जून की अवधि में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ने के आसार हैं। इससे बिजली ग्रिड पर दबाव पड़ सकता है और पानी की कमी हो सकती है।

औसत से 105% तक हो सकती है बारिश

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने मंगलवार को कहा कि इस साल दीर्घकालिक मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक, मॉनसूनी बारिश औसत से 105% तक हो सकता है। आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत में चार महीने (जून से सितंबर) के मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है और कुल वर्षा 87 सेंटीमीटर के दीर्घावधि औसत का 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम मानसूनी बारिश से जुड़ी ‘अल नीनो’ स्थितियां इस बार विकसित होने की संभावना नहीं है।

कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी खबर

मानसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52 फीसदी हिस्सा वर्षा आधारित प्रणाली पर निर्भर है। यह देशभर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी अहम है। इसलिए मानसून के मौसम में सामान्य वर्षा का पूर्वानुमान देश के लिए एक बड़ी राहत है।

सामान्य वर्षा का यह मतलब नहीं है कि पूरे देश में हर जगह एक समान बारिश हो

हालांकि सामान्य वर्षा का यह मतलब नहीं है कि पूरे देश में हर जगह एक समान बारिश होगी। जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा आधारित प्रणाली की परिवर्तनशीलता और अधिक बढ़ जाती है। जलवायु विज्ञानियों का कहना है कि बारिश के दिनों की संख्या घट रही है जबकि भारी बारिश की घटनाएं (थोड़े समय में अधिक बारिश) बढ़ रही हैं। इससे कुछ क्षेत्रों में बाढ़ और कुछ क्षेत्रों में सूखे की स्थिति पैदा होती है। गौरतलब है कि देश में मॉनसून आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल में दस्तक देता है। उसके बाद वह आगे बढ़ते हुए पूरे देश में छा जाता है। फिर सितंबर के मध्य में मॉनसन की वापसी शुरू हो जाती है।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in