
नई दिल्ली : ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर गठित संसदीय समिति की दो दिवसीय बैठक बिना किसी ठोस निष्कर्ष के समाप्त हो गई। बंगाल में मनरेगा के तहत100 दिन के रोजगार योजना को फिर से शुरू किए जाने पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। समिति ने स्वीकार किया कि केंद्र सरकार की ओर से बीते तीन वर्षों से बंगाल को इस योजना के तहत कोई राशि नहीं दी गई है। बैठक के पहले दिन, मनरेगा को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें राज्यवार आंकड़े भी शामिल थे। हालांकि बंगाल के नाम के सामने आंकड़ों की जगह खाली छोड़ दी गई। सूत्रों के अनुसार, तीन वर्षों से कोई फंड जारी नहीं होने के कारण बंगाल से संबंधित कोई डाटा तैयार नहीं किया जा सका। समिति अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उल्का ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह कांग्रेस की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को नजरअंदाज कर रहा है। बैठक में तृणमूल कांग्रेस का कोई सांसद मौजूद नहीं था। वहीं, भाजपा के अधिकांश सांसदों ने हिस्सा नहीं लिया। मंगलवार को बैठक में भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा प्रस्तावित थी। इसमें अभिनेता प्रकाश राज और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को सरकार की ओर से आमंत्रित किया गया था लेकिन भाजपा सांसदों ने उनकी बात सुने बिना शोरगुल और हंगामा करना शुरू कर दिया। हंगामे के बीच दोनों प्रकाश राज और मेधा पाटकर अपनी बात रखे बिना वहां से वॉकआउट कर गए। सूत्रों ने बताया कि भाजपा सांसदों ने यह कहते हुए वॉकआउट कर दिया कि वे इन्हें सुनना नहीं चाहते। सूत्रों ने बताया कि बैठक को जानबूझकर बाधित किया गया ताकि भूमि अधिग्रहण और आदिवासियों के मुद्दों पर चर्चा न हो सके। जब समिति के चेयरमैन ने बैठक दोबारा शुरू करने की कोशिश की, तो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि कोरम पूरा नहीं होने का हवाला देते हुए बैठक को समाप्त कर दिया और वे भी बाहर चले गए। उन्होंने कहा, वॉकआउट का मतलब यह नहीं कि कोरम पूरा नहीं है। अगर बहस होती तो कई अहम बातें सामने आतीं, लेकिन भाजपा सांसदों ने जानबूझकर चर्चा से भागने की कोशिश की। सूत्रों ने बताया कि बैठक में भट्टा पारसौल के बाद बने भूमि अधिग्रहण कानून पर चर्चा होनी थी, जिसमें देश भर से कई सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे थे।