अब न्याय मिलने की उम्मीद जगी : ममता

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए ऐतिहासिक करार दिया
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कोलकाता: बंगाल के प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों में अत्याचार झेलना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई बार आवाज उठाती रही हैं। इस संबंध में जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर कोलकाता उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए निर्देशित किया है। इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री ने अपनी सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट लिखा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक करार दिया।

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य के रूप में बंगाल की ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने मान्यता दी है। ममता ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका के संदर्भ में बंगाल के प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर एक ऐतिहासिक निर्देश देने के साथ ही अहम टिप्पणी की है। सीमावर्ती राज्य के रूप में बंगाल की ऐतिहासिक भूमिका को स्वीकार कर, सर्वोच्च न्यायालय ने यह मान्यता दी है कि किस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी बंगाल शरण, विश्वास और सांस्कृतिक आश्रय का स्थल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के हाई कोर्ट को यह निर्देश दिया है कि प्रवासी श्रमिकों की याचिका को प्राथमिकता के आधार पर सुना जाए। इस फैसले के बाद संकट में फंसे और बंदी बनाए गए प्रवासी श्रमिकों के लिए एक उम्मीद की किरण नजर आ रही है। बंगाल की विशिष्ट स्थिति को लेकर मिली यह सर्वोच्च मान्यता देशभर में फैले बांग्लाभाषी अनगिनत प्रवासी श्रमिकों को नयी आशा देगी। हमारे देश के विभिन्न कोनों में परिश्रम और त्याग करते हुए जीने वाले परिवार अब थोड़ी उम्मीद की रोशनी देख पा रहे हैं। मैं अपने सभी प्रवासी श्रमिक भाई-बहनों के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ी हूं। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। हमें पूरा विश्वास है कि बंगाल का हर श्रमिक वहां से सम्मान, गरिमा और संवैधानिक न्याय प्राप्त करेगा।

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