कोलकाता: राज्य प्रशासन को सूचित किये बिना बीएलओ प्रशिक्षण विवाद के बीच सीएम ममता बनर्जी ने अब मामले को अपने हाथ में लेते हुए जिलाधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी है कि भविष्य में राज्य सचिवालय नवान्न को सूचित किये बिना कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए।
कई जिलाधिकारियों को मुख्यमंत्री के गुस्से का सामना करना पड़ा
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को नवान्न में जिलाधिकारियों के साथ बंद कमरे में बैठक की। इस बैठक में ममता ने चुनावी तैयारियों से लेकर राज्य के प्रशासनिक कामकाज तक विभिन्न महत्वपूर्ण बातों को लेकर सख्त संदेश दिया। सूत्रों के अनुसार, ममता ने नाराजगी जताई कि दिल्ली में बीएलओ ट्रेनिंग में भेजे गए 1000 कर्मियों की जानकारी नवान्न को क्यों नहीं दी गई। यह भी पता चला है कि इस मामले में कई जिलाधिकारियों को मुख्यमंत्री के गुस्से का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, आगे से कोई भी कदम नवान्न को जानकारी दिए बिना न उठाया जाए। पता चला है कि ममता ने अधिकारियों को याद दिलाया, आप सभी राज्य सरकार के कर्मचारी हैं। चुनाव अभी हुआ नहीं, फिर अभी से ऐसे काम क्यों हो रहा है? उन्होंने यह भी कहा कि ट्रेनिंग में भेजे गए कुछ लोग (बीएलओ) संदिग्ध हैं। जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे उनकी पृष्ठभूमि की जांच करें।
वोटर लिस्ट, सीमा निगरानी और विकास कार्यों पर दिये अहम निर्देश
इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा, वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) में किसी भी योग्य मतदाता का नाम नहीं छूटना चाहिए। मृत या अयोग्य लोगों के नाम हटाए जाएं, इसमें कोई समस्या नहीं लेकिन किसी भी जीवित व योग्य व्यक्ति को वंचित न किया जाए। सीमा क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिये गये, खासकर चुनाव को ध्यान में रखते हुए। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बीएसएफ सहित कुछ केंद्रीय एजेंसियां एकतरफा काम कर रही हैं। धार्मिक आयोजनों पर सीसीटीवी के जरिए निगरानी बढ़ाने के भी निर्देश दिये गये। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि दिसंबर तक सभी विकास और अधोसंरचना से जुड़ी परियोजनाएं पूरी करना अनिवार्य है। 'हमारा मुहल्ला, हमारा समाधान' कार्यक्रम को गंभीरता से लागू करें। अंत में उन्होंने बाढ़ प्रबंधन में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतने को कहा गया। बैठक में राज्य प्रशासन की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाये रखने की आवश्यकता पर बार-बार जोर दिया गया।