

कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बंगाल दौरे से ठीक पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर बांग्लाभाषियों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ केंद्र सरकार और भाजपा पर जोरदार हमला बोला है। गुरुवार को न्यूटाउन, राजारहाट में पिछड़ा वर्ग के लिए एक विशेष आवास योजना के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सीएम ममता ने कहा कि मतदाता सूची से 17 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश बंगाल के नागरिकों का अपमान है।
अगर 17 लाख रोहिंग्या हैं, तो उनका पता दीजिए, बताइए कहाँ हैं वे?
उन्होंने कहा, जो इस राज्य में रहते हैं, जो भारतीय नागरिक हैं, उन्हें वोट देने से कोई कैसे रोक सकता है? कौन हो तुम लोग, जो कह रहे हो कि 17 लाख नाम हटा दो? वे सभी यहीं वोट देंगे, क्योंकि वे बंगाल के नागरिक हैं। चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, जाति कुछ भी हो, राज्य कोई भी हो, यह मायने नहीं रखता। ममता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग बांग्ला बोलने वालों को ‘बांग्लादेशी’ और ‘रोहिंग्या’ कहकर निशाना बना रहे हैं। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा, रोहिंग्या म्यांमार से हैं, वे बांग्ला कैसे बोल सकते हैं? अगर 17 लाख रोहिंग्या हैं, तो उनका पता दीजिए, बताइए कहाँ हैं वे? मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि भारत में रहने वाला कोई भी भारतीय नागरिक देश के किसी भी कोने में रह सकता है और बोलचाल की भाषा के आधार पर किसी को नागरिकता से वंचित नहीं किया जा सकता।
बंगाल में 1.5 करोड़ अन्य राज्यों के लोग रहते हैं
उन्होंने बांग्ला भाषा की वैश्विक स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि बांग्ला भाषा एशिया में दूसरी और दुनिया में पांचवीं सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। क्या सिर्फ बांग्ला बोलने से कोई विदेशी हो जाएगा? ममता ने यह भी कहा कि बंगाल में 1.5 करोड़ अन्य राज्यों के लोग रहते हैं और राज्य ने उन्हें खुले दिल से अपनाया है। जो लोग अफवाहें फैलाते हैं, वे सिर्फ समाज को बांटना चाहते हैं। हमें उन लोगों से सावधान रहना होगा। मुख्यमंत्री ने अपने 14 वर्षों के शासन को गर्व के साथ याद करते हुए कहा, हमने काम किया है, विकास किया है, लेकिन बदले में सिर्फ बदनामी मिलती है। फिर भी हम रुकेंगे नहीं, क्योंकि हमारा धर्म है मानवता। अंत में ममता ने कहा, मैं पद से नहीं, मानवता से अपनी पहचान बनाती हूं। यही बंगाल की संस्कृति है और हम इसे किसी भी हालत में मिटने नहीं देंगे।