नववर्ष में 'बंगाली अस्मिता' पर जोर देना चाहती हैं ममता

पहला वैशाख को 'पश्चिम बंगाल दिवस' के रूप में चुना गया था
CM Mamata Banerjee
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कोलकाता: आज पहला वैशाख, बांग्ला नये साल का पहला दिन सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने वर्ष 2023 में वैशाख के पहले दिन को 'बंगाल दिवस' के रूप में घोषित किया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसकी पहल की थी। हालांकि मंगलवार को सार्वजनिक अवकाश है, फिर भी पूरे राज्य में सरकारी स्तर पर 'पश्चिम बंगाल दिवस' मनाया जाएगा। दरअसल, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस दिन 'बंगाली अस्मिता' को और बढ़ाना चाहती हैं।

टीएमसी के लिए यह दिन इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

ममता सरकार के लिए इसे राज्य दिवस के रूप में मनाना कभी भी आसान नहीं था। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री के फैसले का विरोध करते हुए 20 जून 2023 को विधानसभा के बाहर भाजपा विधायकों के साथ 'पश्चिम बंगाल दिवस' मनाया था। उसी दिन राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भी राजभवन में 'पश्चिम बंगाल दिवस' समारोह का आयोजन किया था। इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने 'राज्य दिवस' पर निर्णय लेने के लिए नवान्न में एक बैठक बुलाई। उस बैठक में पहला वैशाख को 'पश्चिम बंगाल दिवस' के रूप में चुना गया। इस वर्ष बांग्ला नववर्ष के अवसर पर सरकारी कार्यालयों में अवकाश दिया गया है लेकिन सरकार ने रवींद्र सदन में 'पश्चिम बंगाल दिवस' मनाने की व्यवस्था की है। जिला स्तर पर भी 'बांग्ला दिवस' मनाया जाएगा। संयोग से इस वर्ष प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने काफी पहले ही एक लिखित बयान जारी कर तृणमूल के प्रदेश संगठन से लेकर जिला, ब्लॉक और बूथ स्तर तक के नेताओं को 'पश्चिम बंगाल दिवस' मनाने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर तृणमूल ने भाजपा हिंदुत्व के जवाब में 'बंगाली अस्मिता' को उजागर करने के लिए बांग्ला नववर्ष के पहले दिन को चुना है।

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