लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है, संवैधानिक मूल्यों को आप क्या जानें : ममता

'संविधान हत्या दिवस' और 'बांग्ला दिवस' मनाने के प्रस्ताव खारिज
CM Mamata Banerjee
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कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को नवान्न में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्र सरकार के दो प्रस्तावों 25 जून को आपातकाल विरोधी 'संविधान हत्या दिवस' और 20 जून को 'बांग्ला दिवस' मनाने को सख़्ती से खारिज करते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने साफ कहा कि बंगाल संविधान हत्या दिवस नहीं मना रहा है क्योंकि, इस भाजपा सरकार में हर दिन संविधान की हत्या हो रही है। इसे मनाने के लिए हमें हर दिन संविधान हत्या दिवस मनाना होगा। उन्होंने इसे बंगाल की अस्मिता और भारतीय संविधान की गरिमा पर सीधा हमला बताया।

भाजपा ने संघीय ढांचे को बर्बाद कर दिया

सीएम ने कहा, मैं 'संविधान हत्या दिवस' की पूरी तरह निंदा करती हूं। भाजपा हर दिन लोकतंत्र की हत्या कर रहा हैं। मौलिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। संविधान में रोज बदलाव किए जा रहे हैं। यह 'जुमला सरकार' हमसे संसद तक छीन ली। पहलगांव हमले के बाद संसद में विशेष सत्र की मांग की गई थी। हमारी पार्टी की ओर से पांच सवाल पूछे गए थे। एक भी जवाब नहीं मिला। संवैधानिक मूल्यों के बारे में वे क्या जानें? उन्होंने महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में सरकार गिराने, बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग और ईसीआई की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। ममता ने कहा, जो लोग संविधान की मर्यादा नहीं समझते, वही आज संवैधानिक नैतिकता की बात कर रहे हैं। ममता ने नोटबंदी को लेकर भी केंद्र पर हमला बोला। कहा, उस समय 140 से ज्यादा लोग कतार में मर गए थे। ये लोग कहते हैं कि आपातकाल विरोधी हैं, लेकिन असल में इन्हीं लोगों ने लोकतंत्र को कुचला है। मुख्यमंत्री ने केंद्र द्वारा बंगाल की बकाया राशि रोकने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आपने संघीय ढांचे को बर्बाद कर दिया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा की विपक्ष के नेता राहुल गांधी से आपके मतभेद हो सकते हैं। लेकिन दूसरी राजनीतिक पार्टियाँ भी हैं। उनमें से कई तो आपातकाल का हिस्सा भी नहीं थीं। क्या आपने उनसे सलाह ली?

केंद्र को बांग्ला दिवस तय करने का कोई अधिकार नहीं

वहीं 20 जून को 'बांग्ला दिवस' घोषित करने पर मुख्यमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा, यह राज्य का मामला है। बंगाल दिवस मनाने वाले वे कौन होते हैं? जब ओडिशा और मुंबई के नाम बदले जा सकते हैं, तो 'बंगाल' का नाम 'बांग्ला' क्यों नहीं हो सकता? 'पहला बैसाख' को हमने 'बांग्ला प्रतिष्ठा दिवस' घोषित किया है। केंद्र को बांग्ला दिवस तय करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह पर कटाक्ष करते हुए कहा, मोदी जी हर जगह घूमते रहते हैं और सारी जिम्मेदारी अमित शाह को दे देते हैं तो साफ-साफ उन्हें ही प्रधानमंत्री घोषित कर दें। उन्होंने कहा, वे नेताजी के लापता होने के रहस्य खोलने की बात करते हैं, पर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने नेताजी के योजना कमीशन को समाप्त कर नीति आयोग का गठन किया, जहां न तो नीति है और न ही आयोग। मुख्यमंत्री के इस बयान ने आगामी राजनीतिक समीकरणों में एक बार फिर केंद्र और राज्य के बीच टकराव को जन्म दे दिया है।

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