

कोलकाता: एसआईआर के दौरान किसी भी आदिवासी मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से हटना नहीं चाहिए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नवान्न में हुई वेस्ट बंगाल ट्राइब्स एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिया। बैठक से जुड़े सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने परिषद् के सदस्यों को सख्त निगरानी रखने को कहा ताकि आदिवासी समुदाय का कोई भी व्यक्ति अपने मताधिकार से वंचित न रह जाए। उन्होंने इस काम को प्राथमिकता देते हुए अपने चार आदिवासी मंत्रियों बीरबाहा हाँसदा, बुलु चिक बड़ाइक, ज्योत्स्ना मांडी और संध्या रानी टुडू को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक अहम हिस्सा है और उनके नाम मतदाता सूची में सुरक्षित रहना बेहद जरूरी है। प्रशासनिक स्तर पर भी इस संबंध में सख्त निगरानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
सरकारी पदों पर भर्ती में एससी/एसटी पैनल में हेराफेरी
राज्य की मंत्री बीरबाहा हांसदा ने मुख्यमंत्री को इस बारे में अवगत कराया है कि स्कूल और कॉलेज प्रवेश और अन्य भर्तियों सहित विभिन्न राज्य सरकार की परीक्षाओं में यह देखा गया है कि पात्र उम्मीदवारों के पैनल में ऐसे लोगों को भी शामिल कर लिया गया है जो अनुसूचित जाति/जनजाति से संबंधित नहीं हैं। यह समस्या बरसों से चली आ रही है। इससे तमाम जटिलताएं पैदा हो गई हैं और एससी/एसटी सूची की जांच की जरूरत महसूस की जा रही है। इस पर ममता ने कहा कि उनके पास भी ऐसी कई शिकायतें आई हैं। मुख्यमंत्री ने बैठक में मौजूद मुख्य सचिव मनोज पंत को तत्काल निर्देश दिया कि इन आरोपों की तेजी से जांच कर निष्पत्ति सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही, झाड़ग्राम में आलचिकी लिपि में प्रश्नपत्र उपलब्ध न होने की शिकायत पर भी मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को जांच के आदेश दिए। बैठक में ममता बनर्जी ने आदिवासी जमीन कब्जा मामले पर भी कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि पहले भी कई बार जिला प्रशासन, विधायक और सांसदों को इस मामले में जिम्मेदारी लेने की हिदायत दी गई है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि वे आदिवासी बहुल इलाकों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनें और तत्काल कदम उठाएँ। ममता ने कहा, आदिवासी समाज का विकास और उनकी भलाई हमारी सरकार की प्राथमिकता है। इस काम में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आदिवासी विकास के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं
सोमवार को परिषद की बैठक में कुल 16 सदस्यों में से 4 उपस्थित नहीं थे। काफी अटकलों के बाद दो भाजपा नेता - मालदा उत्तर के सांसद खगेन मुर्मू और पूर्व सांसद दशरथ तिर्की बैठक में शामिल नहीं हुए। इतना ही नहीं, झाड़ग्राम से टीएमसी सांसद कालीपद मुर्मू और पहाड़ से एक और सदस्य अनुपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने उनकी अनुपस्थिति पर कहा कि यह उनकी इच्छा या वैचारिक कारण हो सकता है, लेकिन सरकार ने सबको आमंत्रित किया था। विकास के मामले में हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं जहाँ हर किसी का स्वागत है।