बांग्ला भाषा के लिए फिर से आंदोलन जरूरी: ममता

कहा, सभी भाषाएं एक साथ मिलकर बढ़ें, यही हमारी ताकत है
CM Mamata Banerjee
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कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महानायक पुरस्कार समारोह में अपने भाषण के दौरान एक बार फिर बांग्ला भाषा को लेकर गंभीर चिंता जतायी। गुरुवार को उन्होंने कहा, मैं हमेशा अपनी मातृभाषा में बोलूंगी, चाहे कुछ भी हो। हर बच्चा 'माँ' कहना भी अपनी मातृभाषा में ही सीखता है। यह हमारी पहचान है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बांग्ला भाषा के खिलाफ एक तरह का 'भाषायी आतंकवाद' फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा, कई जगहों पर लोगों को सिर्फ बांग्ला बोलने के कारण परेशान किया जा रहा है, यहां तक कि जेल भी भेजा जा रहा है। दुनिया की पांचवीं सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा और एशिया की दूसरी सबसे बड़ी भाषा बांग्ला है, जिसे करीब 30 करोड़ लोग बोलते हैं। यह अपमान सहन नहीं किया जा सकता। उन्होंने एक नए 'भाषा आंदोलन' की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सभी स्तरों पर कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए।

ममता ने बांग्ला संगीत के ह्रास पर भी चिंता जताई

अपने भाषण में ममता ने बांग्ला संगीत के ह्रास पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, आज हमारे गीतों में बांग्ला कहां है? सब कुछ केवल तेज और चमकदार संगीत में बदल गया है। बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय सिनेमा में पहले से ही ऐसा है, लेकिन टॉलीवुड को अपनी पहचान कायम रखनी होगी। उन्होंने सभी भाषाओं का सम्मान करने की बात करते हुए कहा, हमें अपनी भाषा को छोड़कर कुछ भी हासिल नहीं होगा। सभी भाषाएं एक साथ मिलकर बढ़ें, यही हमारी ताकत है। इसी के साथ मुख्यमंत्री ने बंगाल की संस्कृति, अस्मिता और भाषा को बचाने का संकल्प दोहराया। इस संबंध में उन्होंने बाद में ट्वीट किया कि गुड़गांव, हरियाणा, राजस्थान में बंगाल के विभिन्न जिलों से बांग्लाभाषी लोगों को हिरासत में लिए जाने और उन पर अत्याचार की लगातार खबरें मिल रही हैं। राज्य पुलिस को पहचान पत्र तलाशी के अनुरोध के नाम पर ये खबरें मिल रही हैं। भारत में बंगालियों पर डबल इंजन वाली सरकारों के इन भयानक अत्याचारों को देखकर मैं स्तब्ध हूँ। आप क्या साबित करना चाहते हैं? यह नृशंस और भयानक है। इस भाषाई आतंक को रोकें।

समारोह में म्यांमार, बांग्लादेश के कॉन्सुल जनरल हुए शामिल

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आमंत्रण पर गुरुवार को म्यांमार और बांग्लादेश के कॉन्सुल जनरल महानायक सम्मान समारोह में शामिल हुए। हाल के दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में बांग्लाभाषी लोगों पर बढ़ते अत्याचार और उन्हें 'बांग्लादेशी' या 'रोहिंग्या' कहकर प्रताड़ित करने की घटनाओं के बीच यह उपस्थिति एक राजनीतिक संकेत के रूप में देखी जा रही है। कई जगहों पर प्रवासी मजदूरों को विदेशी करार देकर उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है या निर्वासित करने की कार्रवाई हो रही है। इस पृष्ठभूमि में, ममता द्वारा पड़ोसी देशों के राजनयिकों को आमंत्रित करना केंद्र सरकार को एक स्पष्ट और सांकेतिक संदेश देने की कोशिश माना जा रहा है कि बांग्ला बोलना कोई अपराध नहीं है और बांग्लाभाषी लोगों के साथ भेदभाव अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। समारोह में रूस के कॉन्सुल जनरल की उपस्थिति ने भी आयोजन को खास बना दिया।

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