

कोलकाता: सप्ताह भर चलने वाला 'वन महोत्सव' सोमवार 14 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस अवसर पर शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विशेष शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि बंगाल प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता से भरपूर है। हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी तक, प्रकृति का यह रूप अद्भुत है जिसकी हम रक्षा कर रहे हैं। ममता ने कहा कि उनके शासन काल में वन क्षेत्र 13.38 प्रतिशत से बढ़कर 22 प्रतिशत से ज़्यादा हो गया है।
हरियाली जीवन की धड़कन है
राज्य सरकार ने 'सबुजश्री' जैसी परियोजनाओं के जरिए लगभग 66 लाख पौधे वितरित किए हैं। भारत की पहली 'जलवायु परिवर्तन अनुकूल' परियोजना इसी राज्य में लागू की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार जंगली जानवरों के हमले में जान गंवाने वालों को 24 घंटे के भीतर 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। परिवार के एक सदस्य को 'वन स्वयंसेवक' के पद पर नौकरी भी दी जा रही है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा के जंगलों से बंगाल की ओर पलायन करने वाली बाघिन 'जीनत' को स्वस्थ और बिना चोट पहुंचाये उस राज्य में वापस भेजकर राज्य ने एक मिसाल कायम की है। दार्जिलिंग चिड़ियाघर आज भी देश के सर्वश्रेष्ठ चिड़ियाघरों में से एक है, जिसने हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। सुंदरवन से एकत्रित 'मौली' या उच्च गुणवत्ता वाले शहद को जीआई टैग के लिए पंजीकृत किया गया है। ममता ने कहा, हरियाली जीवन की धड़कन है। हम वर्तमान और भविष्य में बंगाल की हरियाली की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। ममता ने इस दिन जल संरक्षण पर शुभकामना संदेश भी दिये।
पेड़ लगाएं, जिम्मेदारी सिर्फ विभाग की नहीं
उधर, वन मंत्री बीरबाहा हांसदा ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने का सुझाव दिया। शनिवार को उन्होंने कोलकाता के अरण्य भवन से दो झांकियाँ जारी कर वन महोत्सव का उद्घाटन किया। वन मंत्री ने कहा कि पेड़ लगाइये, पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी सिर्फ वन विभाग की नहीं है। आम लोगों को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर विकास के लिए एक पेड़ काटा जाए, तो दो पेड़ लगाए जाने चाहिए।