
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को विधानसभा में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण को लेकर एक अहम रिपोर्ट पेश की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण और मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर दिया गया है। जो लोग कहते हैं कि धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जा रहा है, वे आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं। यह पूरी तरह से गलत है। यह सर्वेक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के आधार पर किया जा रहा है। हम इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा कर लेंगे।
राज्य में 140 समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल किया गया है
मुख्यमंत्री ने बताया कि उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने 22 मई 2024 को आदेश जारी किया था। इस फैसले के परिणामस्वरूप बंगाल के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी 117 वर्गों ने ओबीसी सूची में शामिल होने के लिए आवेदन किया। बाद में, उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार एक अधिसूचना जारी की गई। हमने यह कानून के अनुसार किया। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद ओबीसी आरक्षण 17 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया था लेकिन अब राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश असीम बनर्जी कर रहे हैं, की सिफारिशों के आधार पर पुनः 17 प्रतिशत आरक्षण बहाल किया गया है। ममता बनर्जी ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 140 समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल किया गया है जिनमें 49 समुदाय 'श्रेणी ए' में और 91 'श्रेणी बी' में हैं। इसके अलावा 50 और समुदायों पर सर्वेक्षण जारी है, जिन पर आयोग की रिपोर्ट के बाद निर्णय लिया जाएगा।
हाई कोर्ट के पूर्व आदेश में 113 समुदायों को सूची से बाहर कर दिया गया था
मुख्यमंत्री ने बताया कि कानूनी विवादों के कारण कई सरकारी बोर्डों की नियुक्तियाँ रुकी हुई थीं लेकिन अब जब आरक्षण नीति स्पष्ट और वैधानिक तरीके से लागू हो गई है, तो भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। ममता ने मीडिया के एक वर्ग पर भ्रामक खबरें फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ओबीसी की पहचान पूरी तरह से सामाजिक-आर्थिक आधार पर की गई है। धर्म का इसमें कोई स्थान नहीं है। इस संबंध में सभी दस्तावेज विधानसभा में प्रस्तुत किए गए हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि हाई कोर्ट के पूर्व आदेश में 113 समुदायों को ओबीसी सूची से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद 117 समुदायों ने आयोग को आवेदन दिया था, जिसकी समीक्षा जनवरी 2025 से शुरू हुई थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण को पुनर्स्थापित किया गया है। सरकार द्वारा पेश सूची के अनुसार 61 हिंदू और 79 अल्पसंख्यक समुदाय ओबीसी सूची में शामिल हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री के बयान के बाद विपक्ष ने सरकार पर 'अल्पसंख्यक तुष्टीकरण' का आरोप लगाया।