गीता पाठ के लिए सार्वजनिक सभा की क्या जरूरत : ममता

गीता पाठ को राजनीतिक रंग देने पर मुख्यमंत्री का सवाल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
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कृष्णानगर : राज्य में लाखों स्वरों में पवित्र गीता पाठ के आयोजन को लेकर शुरू हुए राजनीतिक विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को ब्रिगेड में हुए इस धार्मिक समारोह में एक हॉकर की पिटाई के मामले ने इसे और हवा दे दी। गुरुवार को कृष्णानगर की सभा से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बंगाल में गरीबों पर ऐसा अत्याचार किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ममता ने कहा, 'एक गरीब हॉकर अपनी रोजी-रोटी के लिए हर सभा में सामान बेचने जाता है। उसे क्यों मारा? यह गलत हैं। मैंने सबको कल ही गिरफ्तार करवा दिया।' भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'यह बंगाल है, कोई दूसरा राज्य नहीं…यहाँ आपके हुक्म नहीं चलेंगे।' मुख्यमंत्री ने गीता पाठ जैसे धार्मिक अनुष्ठान को सड़क पर लाकर राजनीति करने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, 'गीता पाठ तो घर में भी होता है। इसके लिए इतनी बड़ी सार्वजनिक सभा की क्या जरूरत? धर्म मन का विषय है, दिखावे का नहीं।'

धर्म का अर्थ है—मानवता, पवित्रता और अहिंसा

उन्होंने भगवत गीता से श्रीकृष्ण के उपदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि धर्म का अर्थ है—मानवता, पवित्रता और अहिंसा, न कि हिंसा या नफरत फैलाना। ममता ने आरोप लगाया कि चुनाव नजदीक आते ही भाजपा राज्य में विभाजन की राजनीति कर रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, जिनके पास न दिमाग है, न दिल, वे चुनाव के लिए झूठ परोस रहे हैं। लोग क्या खाएंगे, क्या पढ़ेंगे, यह उनका अधिकार है।

बांग्ला भाषा और संस्कृति की रक्षा को लेकर भी ममता भावुक हो उठीं। उन्होंने कहा, मैं बंगाल की मिट्टी की बेटी हूँ। बंगाली भाषा में लाख बार बोलूँगी, चाहे इसके लिए गला ही क्यों न काट दिया जाए।’ अंत में भाजपा को चेतावनी देते हुए ममता ने कहा कि अन्याय का जवाब प्रतिरोध से दिया जाएगा और 'जख्मी बाघ' हमेशा अधिक खतरनाक होता है।

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