महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत, लोकपाल के आरोप पत्र देने संबंधी आदेश रद्द

महुआ मोइत्रा पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने हीरानंदानी से रिश्वत और अन्य अनुचित लाभ लेकर संसद में सवाल पूछे थे जो भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है।
महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत, लोकपाल के आरोप पत्र देने संबंधी आदेश रद्द
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नई दिल्लीः कथित सवाल के बदले रिश्वत मामले में घिरी तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली है। दरअसल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को लोकपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सीबीआई को तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कथित तौर पर पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में आरोप पत्र दाखिल करने की अनुमति दी गई थी।

न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने मोइत्रा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘यह आदेश रद्द किया जाता है। हमने लोकपाल से अनुरोध किया है कि वे संबंधित प्रावधानों के अनुसार एक महीने के भीतर लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20 के तहत स्वीकृति प्रदान करने पर विचार करें।’’

क्या है मामला

कथित तौर पर पैसे लेकर सवाल पूछने का यह मामला इस आरोप से संबंधित है कि मोइत्रा ने एक व्यवसायी से नकदी और उपहार के बदले सदन में सवाल पूछे थे। मोइत्रा के वकील ने तर्क दिया था कि लोकपाल द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में स्पष्ट खामी थी। उन्होंने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20(7) का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत मंजूरी देने से पहले लोक सेवकों की राय लेना अनिवार्य है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि लोकपाल की कार्यवाही में मोइत्रा को दस्तावेज पेश करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें केवल टिप्पणी करने का अधिकार है तथा मौखिक सुनवाई का भी अधिकार नहीं है। मोइत्रा ने सीबीआई को मंजूरी आदेश के अनुसरण में कोई भी कदम उठाने से रोकने का भी अनुरोध किया है।

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मोइत्रा पर भ्रष्ट आचरण का आरोप लगा था

सीबीआई ने जुलाई में मोइत्रा और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से जुड़े कथित तौर पर पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। केंद्रीय एजेंसी ने लोकपाल के अनुरोध पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोनों के खिलाफ 21 मार्च, 2024 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

यह आरोप लगाया गया था कि मोइत्रा ने हीरानंदानी से रिश्वत और अन्य अनुचित लाभ लेकर भ्रष्ट आचरण किया, जिसमें ‘‘उनके संसदीय विशेषाधिकारों से समझौता करना और उनके लोकसभा ‘लॉगिन क्रेडेंशियल’ साझा करके राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करना’’ शामिल था। अधिकारियों के अनुसार सीबीआई ने इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी है, जो इस मामले में आगे की कार्रवाई तय करेगा।

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