माँ काली ढोकला नहीं खातीं और न कभी खाएंगी

मोदी के 'जय माँ काली' पर महुआ मोइत्रा का तंज
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कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दुर्गापुर की चुनावी जनसभा में 'जय माँ काली, जय माँ दुर्गा' का नारा देकर बंगाल की संस्कृति और आस्था को साधने की कोशिश की। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री का 'जय माँ काली' और 'जय माँ दुर्गा' का उद्घोष, पारंपरिक 'जय श्री राम' से हटकर बंगाल की भावनाओं को भुनाने का रणनीतिक प्रयास है लेकिन तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे 'देर से आया चुनावी हथकंडा' करार देते हुए तीखा कटाक्ष किया।

भाजपा का गढ़ माने जाने वाले राज्य का प्रतिनिधि व्यंजन है 'ढोकला'

कृष्णानगर की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, प्रधानमंत्री को अब याद आया माँ काली का नाम। लेकिन यह प्रयास बहुत देर से किया गया। माँ काली ढोकला नहीं खातीं और न कभी खाएंगी। बता दें कि 'ढोकला', जो कि गुजरात की एक प्रसिद्ध डिश है, भाजपा का गढ़ माने जाने वाले राज्य का प्रतिनिधि व्यंजन भी है। महुआ ने पहले भी भाजपा पर बंगाल की भोजन संस्कृति पर 'नियंत्रण' का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बंगाल में कई काली मंदिरों में प्रसाद के रूप में मांसाहारी भोग चढ़ाया जाता है, जो गुजरात की परंपराओं से अलग है। कुछ महीने पहले दिल्ली के चित्तरंजन पार्क में एक मछली बाजार को लेकर भी विवाद हुआ था, जब यह आरोप लगे कि भाजपा से जुड़े लोग स्थानीय दुकानदारों को धमका रहे थे क्योंकि बाजार एक मंदिर के पास था। महुआ ने उस समय सोशल मीडिया पर लिखा था, चित्तरंजन पार्क एक बंगाली इलाका है। हम मछली खाने वाले बंगालियों को गर्व है। भाजपा अब क्या हमें बताएगी कि क्या खाना है, कहाँ दुकान लगानी है? अब उन्होंने मोदी के जयकारे पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

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