‘डिजिटल अरेस्ट’ होकर गंवाये 65 लाख

विदेशी बैंकों से जुड़े खातों में भी भेजी गयी रकम, जांच में जुटी पुलिस
Lost 65 lakhs after being subjected to 'digital arrest'.
सांकेतिक फोटो
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निधि, सन्मार्ग संवाददाता

बरानगर : उत्तर 24 परगना के बरानगर अंतर्गत नागेरबाजार के काजीपाड़ा इलाके में 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए ठगी की एक ऐसी वारदात सामने आई है, जिसने पुलिस प्रशासन और आम जनता के होश उड़ा दिए हैं। एक सेवानिवृत्त अदालत पेशकार और उनकी वयोवृद्ध पत्नी ठगों के सुनियोजित जाल में इस कदर फंसे कि उन्होंने न केवल अपनी बैंक जमा पूंजी गंवाई, बल्कि घर के गहने तक बेच दिए। इस सनसनीखेज मामले में पीड़ितों से कुल 64 लाख 87 हजार 205 रुपये की लूट की गई है।

कैसे शुरू हुआ मौत जैसा खौफनाक खेल?

75 वर्षीय प्रबीर चटर्जी (नाम परिवर्तित) बरानगर के एक पॉश आवास में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। उनकी इकलौती बेटी पढ़ाई के सिलसिले में दिल्ली में रहती है। घटना की शुरुआत तब हुई जब उनके पास एक अज्ञात नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का वरिष्ठ अधिकारी बताते हुए दावा किया कि प्रबीर बाबू और उनकी पत्नी के आधार कार्ड और बैंक खातों का इस्तेमाल करोड़ों रुपये के अंतरराष्ट्रीय अवैध लेन-देन और मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया है। ठगों ने उन्हें इतना डरा दिया कि उन्हें लगा कि उनका पूरा परिवार सलाखों के पीछे चला जाएगा।

व्हाट्सऐप पर 'हाउस अरेस्ट' और फर्जी दस्तावेजों का जाल

ठगों ने पीड़ित का विश्वास जीतने के लिए तकनीक और फर्जीवाड़े का सहारा लिया। उन्होंने व्हाट्सऐप पर प्रबीर बाबू को जाली दस्तावेज भेजे, जिनमें ईडी का लोगो, सीबीआई की मुहर वाली नकली चार्जशीट और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के नाम पर फर्जी गिरफ्तारी वारंट शामिल थे।

हैरानी की बात यह है कि अपराधियों ने प्रबीर बाबू और उनकी पत्नी को 'डिजिटल हाउस अरेस्ट' पर रख दिया। उन्हें आदेश दिया गया कि वे दिन भर अपने फोन का कैमरा चालू रखेंगे और किसी से भी इस बारे में बात नहीं करेंगे। कई दिनों तक वीडियो कॉल के जरिए उन पर लगातार निगरानी रखी गई, जिससे वृद्ध दंपती गहरे मानसिक अवसाद और तनाव में चले गए।

बेटी की गिरफ्तारी की धमकी और गहनों की बिक्री

जब ठगों ने देखा कि पीड़ित पूरी तरह उनके चंगुल में हैं, तो उन्होंने 'जांच' और 'सिक्योरिटी डिपॉजिट' के नाम पर पैसों की मांग शुरू की। उन्होंने आश्वासन दिया कि यह रकम सरकारी खाते में सुरक्षित रहेगी और जांच के बाद वापस कर दी जाएगी। जब प्रबीर बाबू ने असमर्थता जताई, तो ठगों ने उनकी दिल्ली में रह रही बेटी को गिरफ्तार करने की धमकी दी।

बेटी की सुरक्षा की खातिर मजबूर पिता ने अपनी एक-एक करके सारी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) तुड़वा दीं। जब बैंक के पैसे खत्म हो गए, तो ठगों के दबाव में आकर उन्होंने अपनी सत्तर वर्षीय पत्नी के सोने के गहने तक बेच डाले। कुल मिलाकर सात अलग-अलग किस्तों में लगभग 65 लाख रुपये ठगों के खातों में ट्रांसफर किए गए।

जांच में विदेशी कनेक्शन का खुलासा

26 नवंबर के बाद जब ठगों ने अचानक फोन करना और डराना बंद कर दिया, तब प्रबीर बाबू को संदेह हुआ। उन्होंने अपनी बेटी और परिचितों से बात की, जिसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि वे एक बड़े साइबर अपराध का शिकार हो चुके हैं। 24 दिसंबर को नागेरबाजार थाने में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई गई।

पुलिस की प्रारंभिक जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जिन खातों में पैसे भेजे गए थे, उनमें से कई खाते विदेशी बैंकों से जुड़े हुए हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि इस गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हो सकते हैं। पुलिस अब साइबर सेल की मदद से उन बैंक ट्रांजैक्शन की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रही है, ताकि अपराधियों तक पहुंचा जा सके। यह घटना समाज के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि डिजिटल दौर में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।

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