हाईकोर्ट के जज के खिलाफ लोकपाल जांच पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

कोर्ट ने कहा : लोकपाल का आदेश न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाला
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नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को लोकपाल के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि उच्च न्यायालय के जजों के खिलाफ शिकायतों की जांच करना लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आता है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि लोकपाल का यह आदेश पर ‘अत्यधिक परेशान करने वाला’ और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाला है।

अगली सुनवाई 18 मार्च को
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अभय एस ओका के पीठ ने लोकपाल द्वारा गत 27 जनवरी को पारित आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई आगामी 18 मार्च तय करते हुए केंद्र, लोकपाल रजिस्ट्रार और उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति से जवाब तलब किया है।

जज का नाम गोपनीय रखने का आदेश

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के दायरे में कभी नहीं आते। पीठ ने सभी पक्षों को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक न्यायाधीशों के नाम और शिकायत का खुलासा नहीं किया जाये।

लोकपाल के पास आयीं एक जज के ​खिलाफ दो शिकायतें
दरअसल लोकपाल ने गत 27 फरवरी को एक आदेश जारी कर उच्च न्यायालय के एक वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ दो शिकायतों पर कार्रवाई की बात कही थी। लोकपाल ने कहा कि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश लोकपाल अधिनियम की धारा 14 (1) (एफ) के दायरे में एक व्यक्ति के रूप में कार्रवाई किये जाने योग्य होगा।

शिकायत में किया गया दावा

इन शिकायतों में दावा किया गया था कि संबंधित न्यायाधीश ने एक निजी कंपनी के पक्ष में फैसला लेने के लिए उच्च न्यायालय के एक अन्य न्यायधीश और एक एडिशनल जिला जज को सिफारिश की। गौरतलब बात यह है कि जिस न्यायाधीश के खिलाफ फैसले को प्रभावित करने का आरोप है, वे किसी समय में इसी कंपनी के लिए वकालत कर चुके हैं।

इस पर एक कानून बनाना चाहिए : सिब्बल
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय की सहायता करने की पेशकश की थी, जिसे शीर्ष न्यायालय ने मंजूरी दे दी। सिब्बल का मानना है कि यह मामला न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित बहुत महत्वपूर्ण है। सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा कि मुझे लगता है इस पर एक कानून बनाया जाना चाहिए।

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