नयी दिल्ली : कांग्रेस ने कहा है कि सरकार भले ही अत्यधिक गरीबी के 5.3 प्रतिशत हो जाने का जश्न मना रही है लेकिन प्रतिदिन तीन डॉलर (करीब 250 रुपये) की आय सम्मान के साथ जीने के लिए पर्याप्त नहीं है। पार्टी ने यह दावा भी किया कि सरकार खुद को असहज करने वाले आकंड़ों को दरकिनार कर देती है।
असहज करने वाले आकंड़ों को दरकिनार कर देती है सरकार
पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि भारत की अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 में 27.1 प्रतिशत से एक दशक में तेजी से घटकर 2022-23 में 5.3 प्रतिशत रह गयी हालांकि विश्व बैंक ने अपनी गरीबी रेखा की सीमा को संशोधित कर तीन डॉलर आय प्रतिदिन कर दिया है। खेड़ा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि मोदी सरकार अत्यधिक गरीबी के गिरकर 5.3 प्रतिशत हो जाने का जश्न मना रही है लेकिन यह प्रतिदिन तीन डॉलर (250 रुपये) की गरीबी रेखा पर आधारित है।
भुखमरी से बचने के लिए पर्याप्त!
यह भुखमरी से बचने के लिए पर्याप्त हो सकती है लेकिन निश्चित रूप से सम्मान के साथ जीने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि 11 साल के अंतराल के बाद किया गया 2022-23 उपभोग व्यय सर्वेक्षण एक संशोधित पद्धति के साथ आया, जिसका संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार के समय आंकड़ों के साथ सीधी तुलना करना अनुकूल प्रतीत होता है लेकिन सांख्यिकीय रूप से ऐसा नहीं है।
2017-18 के सर्वेक्षण को दबा दिया गया
खेड़ा ने दावा किया कि 2017-18 के सर्वेक्षण को दबा दिया गया और इस तरह संभवतः नोटबंदी और जीएसटी के नतीजों को छुपाया गया था। खेड़ा ने कहा कि 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का सरकार का दावा हेरफेर किये गये एक सूचकांक पर आधारित है। सीएमआईई डेटा से पता चलता है कि 62.1 करोड़ भारतीय (44) अब भी गरीबी में जीवन जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 105वें स्थान पर है, यहां 18.7 प्रतिशत बच्चे कमजोर हैं और 35.5 प्रतिशत बच्चों का कद कम है। विश्व खुशहाली रिपोर्ट में भारत 118वें स्थान पर है।