“हमें घर जाने दो”, वे बार- बार एक ही गुहार लगा रहे थे

हाकिमपुर सीमा पर वापस जा रहे ‘अवैध बांग्लादेशियों' की संख्या बढ़ी
“हमें घर जाने दो”, वे बार- बार एक ही गुहार लगा रहे थे
Published on

सन्मार्ग संवाददाता

हाकिमपुर : पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में हाकिमपुर बीएसएफ सीमा चौकी के पास पक्की सड़क से निकलने वाला संकरा, धूल व कीचड़ भरा रास्ता वर्षों तक राज्य में रहने वाले “गैरकानूनी बांग्लादेशियों” के लिए वापस जाने का मार्ग बन गया है। विशाल बरगद के पेड़ के नीचे कपड़े के छोटे-छोटे बैग लिए कई परिवार, प्लास्टिक की बोतलें पकड़े बच्चे और पुरुष शनिवार को एक कतार में खड़े थे। वे बीएसएफ कर्मियों से बार- बार एक ही गुहार लगा रहे थे: “हमें घर जाने दो।”

नवंबर की शुरुआत से अपने देश लौटने की कोशिश कर रहे

दक्षिण बंगाल सीमा क्षेत्र में सुरक्षा कर्मियों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि नवंबर की शुरुआत से अपने देश लौटने की कोशिश कर रहे बिना दस्तावेज वाले बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। यह आवाजाही एक असामान्य ‘रिवर्स माइग्रेशन’ यानी प्रतिलोमी प्रवास का रूप ले चुकी है, जिसे अधिकारी और स्वयं ये लोग पश्चिम बंगाल में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जोड़कर देख रहे हैं। खुद को खुलना जिले की निवासी बताने वाली शाहिन बीबी कोलकाता के पास न्यू टाउन में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी, वह अपने छोटे बच्चे के साथ सड़क किनारे इंतजार कर रही थी। महिला ने कहा, “मैं यहां इसलिए आई थी क्योंकि हम गरीब थे। मेरे पास कोई सही दस्तावेज नहीं है। अब, मैं खुलना लौटना चाहती हूं। इसलिए यहां आई हूं।” महिला ने कहा कि वह लगभग 20,000 रुपये महीना कमाती थी, दो महिलाओं के साथ एक कमरे में रहती थी और नियमित रूप से पैसे घर भेजती थी। कतार में खड़े कई लोग स्वीकार करते हैं कि पश्चिम बंगाल में रहने के दौरान उन्होंने दलालों और बिचौलियों के जरिए आधार कार्ड, राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र बनवाए।

8 सालों तक कोलकाता में रहा, अब संभव नहीं

कई लोगों ने कहा कि एसआईआर के दौरान पुराने दस्तावेज मांगे जाने की वजह से वे पूछताछ और संभावित हिरासत के जोखिम से बचने के लिए लौटना बेहतर समझते हैं। आठ साल तक कोलकाता में रहने वाले एक युवक ने कहा, “अब यहां नहीं रहना। अगर वे पुराने दस्तावेजों की जांच करेंगे, तो हमारे पास दिखाने के लिए कुछ नहीं होगा। बेहतर है कि पूछताछ से पहले ही निकल जाएं।” न्यू टाउन, बिराटी, धुलागोरी, बामनगाछी, घुसुरी और हावड़ा के औद्योगिक इलाकों से आए पुरुषों, महिलाओं और परिवारों को भी यही चिंता सता रही है।

क्या कहा बीएसएफ अधिकारी ने :

कुछ लोग एक दशक से अधिक समय से राज्य में रह रहे थे, अन्य कुछ साल पहले ही आए थे। सीमा पर तैनात अधिकारी इस बढ़ोतरी की पुष्टि करते हैं। वे कहते हैं कि रोज 150–200 लोगों को सत्यापन के बाद हिरासत में लेकर वापस भेजा जा रहा है। कतारें चार नवंबर से बढ़नी शुरू हुईं, जिस दिन एसआईआर प्रक्रिया शुरू हुई। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक अधिकारी ने कहा, “हम यह मान नहीं सकते कि यहां मौजूद हर व्यक्ति अपने घर लौट रहा है। सत्यापन अनिवार्य है। बायोमेट्रिक विवरण जिले के अधिकारियों और राज्य पुलिस को भेजे जाते हैं। इसमें समय लगता है।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in