वैचारिक स्पष्टता के बिना वामपंथी एकता का परिणाम प्रतिकूल हो सकता है : ओली

के.पी शर्मा आली ने दिया बयान
वैचारिक स्पष्टता के बिना वामपंथी एकता का परिणाम प्रतिकूल हो सकता है : ओली
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काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने शनिवार को आगाह किया कि साझा वैचारिक आधार के बिना वामपंथी ताकतों को एकजुट करना कम्युनिस्ट आंदोलन के लिए हानिकारक हो सकता है। ओली ने पूर्व सीपीएन-यूएमएल महासचिव मदन भंडारी की 32वीं पुण्यतिथि पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘उचित वैचारिक समझ के बिना उन लोगों को वामपंथी एकता में लाना निरर्थक होगा, जिन्होंने कई दिशाओं की ओर रुख कर लिया है।’ उन्होंने कम्युनिस्ट आंदोलन के भीतर न्यायोचित पहल का भी विरोध करने तथा मतभेद पैदा करने की सतत प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला तथा कहा कि विभाजन अकसर वास्तविक वैचारिक मतभेदों के बजाय व्यक्तिगत हितों से उत्पन्न होते हैं।

ओली ने कहा, ‘सही बात का भी विरोध करने और मतभेद पैदा करने की प्रवृत्ति पहले से ही साम्यवादी आंदोलन में स्पष्ट रही है। यद्यपि कोई वास्तविक वैचारिक मतभेद नहीं था, फिर भी व्यक्तिगत हितों के आधार पर विभाजनकारी रेखाएं खींची गईं।’

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भंडारी के नेतृत्व में शुरू की गई ‘जनता के बहुदलीय लोकतंत्र’ की अवधारणा को एक राष्ट्रीय नीति के रूप में स्थापित किया गया है, जिसमें राजनीतिक लोकतंत्र के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक और मानवाधिकार मुद्दे भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘इसी आधार पर हमें समृद्ध नेपाल और खुशहाल नेपालियों की राष्ट्रीय आकांक्षा को पूरा करने के लिए काम करना होगा।’

देशभक्ति, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और अखंडता के प्रति अपनी सीपीएन-यूएमएल पार्टी की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए ओली ने कहा कि राजशाही को बहाल करने का कोई भी प्रयास ‘असंभव और अस्वीकार्य’ है।

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