

कोलकाता : कोलकाता में प्राइवेट सुरक्षा गार्डों को फर्जी आर्म्स लाइसेंस बनाकर उन्हें हथियार दिलाने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। इस मामले में कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरोह के सरगना हीरामणि सिंह को बिहार के सासाराम से गिरफ्तार किया है। वह लंबे समय से फरार था और एक गुप्त ठिकाने में छिपा हुआ था। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, हीरामणि सिंह फर्जी बंदूक लाइसेंस बनवाने वाले रैकेट और निजी सुरक्षा गार्डों के बीच 'संपर्क सूत्र' का काम करता था। वह फर्जी दस्तावेजों के जरिए अवैध तरीके से सुरक्षा गार्डों को बंदूक दिलवा रहा था। पूछताछ में खुलासा हुआ है कि इस रैकेट की जड़ें पश्चिम बंगाल के कई जिलों के अलावा बिहार तक फैली हैं।
जुलाई में सामने आया था मामला
गिरोह का खुलासा तब हुआ जब जुलाई में कोलकाता की एक प्रतिष्ठित ज्वेलरी कंपनी ने शिकायत दर्ज करायी कि उनके यहां तैनात सुरक्षा गार्डों के पास हथियार तो हैं, लेकिन उनके लाइसेंस फर्जी हैं। शिकायत के बाद एसटीएफ ने जांच शुरू की और दक्षिण 24 परगना तथा नदिया से तीन सुरक्षा गार्डों को गिरफ्तार किया। उनके पास से 13 फर्जी लाइसेंस, 14 बंदूकें और 66 राउंड कारतूस बरामद किये गये। बाद में और छापेमारी कर चार अन्य गार्डों को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से भी हथियार और संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए। गिरफ्तार लोगों से पूछताछ में हीरामणि सिंह का नाम सामने आया, जो पहले पूर्व बर्दवान में रह रहा था लेकिन जांच शुरू होते ही वह बिहार भाग गया।
बिहार के सासाराम से हुई गिरफ्तारी
मोबाइल डाटा और अन्य तकनीकी सूचनाओं के आधार पर एसटीएफ की टीम ने बिहार के सासाराम में एक ठिकाने पर छापेमारी कर हीरामणि सिंह को गिरफ्तार किया। फिलहाल उससे पूछताछ जारी है। पुलिस का कहना है कि वह यह जानने की कोशिश कर रही है कि फर्जी लाइसेंस किस जगह से बनाए जाते थे, इसमें कौन-कौन शामिल हैं और कितने गार्डों को अब तक ऐसे लाइसेंस मुहैया कराए जा चुके हैं। एसटीएफ अधिकारियों के अनुसार, यह रैकेट न केवल राज्य में बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी सक्रिय हो सकता है। आने वाले दिनों में विभिन्न जिलों और अन्य राज्यों में भी छापेमारी की जाएगी। पुलिस को शक है कि इस रैकेट में कुछ सरकारी कर्मचारियों या विभागीय लोगों की मिलीभगत भी हो सकती है, जिसकी जांच की जा रही है।