गरीब परिवार के प्रत्येक सदस्य तक पर्याप्त खाद्यान्न पहुंचाने की कवायद में जुटा खाद्य विभाग

बढ़ गये हैं परिवार में सदस्य कर सकेंगे अलग से योजना की सुविधा के लिए आवेदन !
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : वह परिवार जो अंत्योदय अन्न योजना के तहत महीने में एक बार राशन पाते हैं उन परिवारों में सदस्यों की संख्या बढ़ने और परिवार को मिलने वाले राशन कम पड़ जाने पर राशन की मात्रा बढ़ाने की जरूरत को समझते हुए राज्य सरकार ऐसे परिवारों के लिए खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ाने पर विचार कर रही है। खाद्य मंत्री रथीन घोष ने बताया कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत परिवार में 10 को प्रति महीने में 35 किलो अनाज मिलता है। मगर देखा जा रहा है कि ऐसे ही परिवार से 3 से अधिक सदस्य और जुड़ गये हैं और उनतक प्रति व्यक्ति राशन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसी सूरत में यह परिवारवाले और परिवार के बढ़ गये सदस्यों की ओर से हमें आवेदन किया जा सकेगा। उनके आवेदन के अनुरूप परिवारों की सदस्य संख्या के अनुसार उन्हें दो परिवारों या फिर बढ़े सदस्यों को अन्य योजना के तहत राशन उपलब्ध करवाने की कोशिश की जायेगी। मंत्री ने कहा कि कोई भी गरीब व्यक्ति या परिवार उनके खाद्य के अधिकार से वंचित ना रहे जाये इसके लिए राज्य सरकार यह पहल कर रही है। इस बारे में खाद्य विभाग के प्रिसिंपल सेक्रेटरी परवेज सिद्दीकी ने बताया कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत राशन पाने वाले परिवारों को राशन की मात्रा कम पड़ जाने की परेशानी को देखते हुए हमने 10 से अधिक सदस्यों वाले परिवारों को दो परिवारों में बांट दिये जाने का विचार किया है ताकि इन परिवारों के प्रत्येक सदस्य को राशन उपलब्ध हो पाये। देखा गया है कि अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत परिवार में जहां 10 से अधिक सदस्य हैं, ऐसे राशन ग्राहकों को अंत्योदय अन्न योजना के तहत दिए जाने वाले अनाज की मात्रा पर्याप्त नहीं है इसलिए विभाग ने इन परिवारों को अधिक अनाज उपलब्ध कराने की पहल की है। या तो 10 से अधिक सदस्यों वाले अंत्योदय परिवारों को दो समूहों में विभाजित किया जाना चाहिए या ऐसे परिवारों के कुछ सदस्यों को किसी अन्य राशन योजना के तहत शामिल किया जाना चाहिए। गरीब परिवारों को भोजन उपलब्ध कराने के बंगाल सरकार का यह प्रयास एक अनूठी मिसाल कायम करेगा। बंगाल के जंगलमहल, पहाड़, टी गार्डन के ज्यादातर श्रमिकों के ज्यादातर परिवार भोजन के लिए इन योजनाओं पर ही निर्भर करते हैं। राज्य की ओर से अत्याधुनिक ई-पॉस मशीनों से राशन दिये जाने के समय फिंगर प्रिंट में समस्या देखी जाती है अतः विभाग की ओर से फिंगर प्रिट के नहीं लिये जाने पर आंखों की स्कैंनिग के हो जाने पर भी डीलर्स को राशन देने का निर्देश दिया गया है। विभागीय अधिकारी ने कहा कि गत कुछ महीनों पहले ही हमने यह लागू कर दिया है जिससे दोनों पक्षों को सहूलियत हो रही है।


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