KIFF 2025: 'आनंदमठ' से गूंजेगी 'वंदे मातरम' की धुन

राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष श्रद्धांजलि
आनंदमठ (1952)
आनंदमठ (1952)
Published on

कोलकाता: संस्कृति, कला और सिनेमा की राजधानी कोलकाता एक बार फिर इतिहास को परदे पर जीवंत करने जा रही है। 31वां कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (KIFF) इस वर्ष केवल फिल्मों का उत्सव नहीं, बल्कि राष्ट्रभावना का भी उत्सव बनने जा रहा है। इस बार महोत्सव में एक नया और विशेष सेक्शन जोड़ा गया है—‘वंदे मातरम’।

इसका उद्देश्य राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ पर उस भावना को पुनर्जीवित करना है, जिसने कभी स्वतंत्रता संग्राम में करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में बांधा था। इस अवसर पर प्रदर्शित की जाएगी मशहूर फिल्म निर्देशक हेमेन गुप्ता की सन् 1952 की कालजयी फिल्म 'आनंदमठ' — जो महान साहित्यिक बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है।

18वीं सदी के संन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म न केवल ऐतिहासिक कथा कहती है, बल्कि उस भावना को भी उजागर करती है, जिसने 'वंदे मातरम' जैसे उद्घोष को जन्म दिया। पृथ्वीराज कपूर, भरत भूषण, गीता बाली और प्रदीप कुमार जैसे कलाकारों की अदाकारी और हेमंत मुखोपाध्याय के संगीत ने इसे अमर बना दिया।

दिलचस्प बात यह है कि लता मंगेशकर द्वारा गाया गया 'वंदे मातरम' गीत 2003 में बीबीसी सर्वे में विश्व का दूसरा सबसे लोकप्रिय गीत चुना गया था। यह उस रचना की शक्ति का प्रमाण है जिसने समय की सीमाओं को लांघ दिया। पिछले रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में देशवासियों से इस वर्षगांठ को पूरे उत्साह के साथ मनाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, 'वंदे मातरम' का उद्घोष हमें यह याद दिलाता है कि भारत की आत्मा शाश्वत है — न समय से बंधी, न सीमाओं से। इस साल का KIFF, सिनेमा के साथ-साथ राष्ट्रप्रेम की उस ध्वनि को भी फिर से गुंजायमान करने जा रहा है, जो हर भारतीय हृदय में अब भी धड़कती है — 'वंदे मातरम!'

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in