ईरान में फंसे सैय्यद और इजरायल में शोध के लिए गये दिव्य का परिवार है चिंतित

दिव्य ने कहा-सायरन बजते ही उन्हें भेज दिया जाता है सेफ प्लेस में
khardah
इजरायल में फंस गये बेटे से बात कर परिवारवालों को मिली राहत
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सन्मार्ग संवाददाता

बशीरहाट/खड़दह : बशीरहाट के सांकचुड़ा का रहनेवाला रिजवी परिवार अपने बेटे सैय्यद बाकिर मजलेसी रिजवी के ईरान में होने को लेकर चिंतित हो उठा है। ईरान-इजरायल के बीच तनाव की स्थिति में कब क्या हो जाये, इसे लेकर रिजवी परिवार कई तरह की आशंकाएं जताते हुए प्रति घंटे ही सैय्यद से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है हालांकि उनका सैय्यद से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पढ़ाई के लिए वह ईरान में रहता है। परिवारवालों का कहना है कि उसने कुछ दिन पहले ही अपने परिवार से बात की थी और अब उससे बात नहीं हो रही है। हालांकि उसने सोशल मीडिया के जरिये स्थानीय विधायक से मुख्यमंत्री से उसे देश वापस लाने की अपील की है। बशीरहाट निवासी सैय्यद बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रहा है। फारसी में डॉक्टरेट करने के लिए वह ईरान गया है। उसने ईरान के कोम शहर में पढ़ाई की। वह पिछले दो साल से वहीं रह रहा है। इस समय ईरान और इजराइल के बीच युद्ध के कारण स्थिति तनावपूर्ण है। ईरान में मोबाइल नेटवर्क की समस्या के कारण वह अपने परिवार से बात नहीं कर पा रहा है हालांकि उसने सोशल मीडिया के जरिये किसी तरह वहां की स्थिति की जानकारी दी है। सैयद के बड़े भाई का कहना है 20 जून को उसे घर लौटना था। टिकट बुक हो चुका था लेकिन फ्लाइट सेवा अभी बंद है। दूतावास वाले भी उनसे संपर्क कर रहे हैं। मैंने दो दिन पहले अपने भाई से बात की थी। वहीं सैय्यद की मां ने कहा कि यह उनके लिए बहुत मुश्किल समय है। हम बस चाहते हैं कि बेटा सुरक्षित घर लौट आये। सोशल मीडिया पर सैयद की पोस्ट देखकर विधायक डॉ. सप्तर्षि बनर्जी ने कहा कि मुझे जैसे ही इस बारे में पता चला, मैंने मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया। एक सांसद को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। हम इसकी जानकारी भेज रहे हैं। वे गृह मंत्रालय से बात करके मदद करने की कोशिश करेंगे। यही स्थिति खड़दह के रोहणा निवासी दिव्य मुखर्जी के परिवारवालों की भी है। वह इजरायल में फंस गये हैं। भारतीय वैज्ञानिक दिव्य मुखर्जी कृषि पर शोध के लिए मध्य इजरायल के रेहोवोट में हैं। पिछले शनिवार को ईरान ने इजरायल के इस इलाके में दिव्य के निवासस्थान से महज डेढ़ किलोमीटर दूर हमला कर दिया था जिससे दिव्य का परिवार उसकी चिंता में डूब गया है। दिव्य के चाचा शुभमय मुखर्जी ने बताया कि बुधवार को दिव्य से परिवारवालों की बात हुई तो हमें थोड़ी राहत मिली है। उसने बताया है कि नवंबर में उसका शोध खत्म होगा जिसके लिए उसे वहीं रुकना पड़ेगा। उसकी कोशिश है कि वह अपना शोध कार्य पूरा करके ही लौटे और वह उम्मीद भी कर रहा है कि तब तक स्थिति थोड़ी बेहतर हो जायेगी। उसने बताया कि वह सुरक्षित जगह पर है। जैसे ही खतरे की स्थिति होती है तो सायरन बजता है और उन्हें नीचे के सेफ प्लेस में भेज दिया जाता है। वह दिन में दो बार उन्हें फोन करता है। हालांकि, परिवार चाहता है कि अब युद्ध बंद हो जाये। उनका कहना है कि दुनिया में शांति होनी चाहिए।


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