‘क्या करूं, मियां साब ने जूते खाने अकेले भेज दिया’

कारगिल वार्ता के लिए आये पाक डीजीएमओ का ऐसा था जवाब
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कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान के डीजीएमओ थे लेफ्टिनेंट जनरल तौकीर जिया
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नयी दिल्ली : ‘कारगिल विजय दिवस’ पर हर साल की तरह इस बार भी 26 साल पहले तीन माह चले संघर्ष में पाकिस्तान को मली करारी हार से जुड़ी कई यादें ताजा हो गयीं। उस समय संघर्ष विराम के लिए भेजे गये पाकिस्तानी सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) ने भारतीय अधिकारियों के सामने कुबूल किया था कि उन्हें ‘मियां साब’ यानी तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ‘जूते खाने’ के लिए अकेले भेजा गया है।

लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी ने की 26 साल पुरानी याद ताजा

कारगिल संघर्ष के समय सैन्य अभियान महानिदेशालय (डीजीएमओ) के उप प्रमुख रहे और बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में सेवानिवृत्त हुए मोहन भंडारी ने 26 साल पुरानी याद ताजा करते हुए बताया कि पाकिस्तानी डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल तौकीर जिया (सेवानिवृत्त) अकेले ही बैठक में पहुंचे, जो डीजीएमओ बैठकों के लिए असामान्य था।

वाजपेयी ने नवाज शरीफ को डीजीएमओ भेजने को कहा था

दरअसल जुलाई 1999 में जब करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना दबाव में पीछे हट रही थी, तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को फोन किया था। उन्होंने शरीफ को 4 जुलाई को अपने डीजीएमओ को भारतीय डीजीएमओ के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) से पूर्ण वापसी के लिए वार्ता के लिए भेजने को कहा। इसके चलते 11 जुलाई, 1999 को अटारी में दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसने करगिल युद्ध को समाप्त करने में निर्णायक भूमिका निभायी।

अकेले आये पाकिस्तानी डीजीएमओ

इस ऐतिहासिक बैठक को याद करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी बताते हैं कि हम 11 जुलाई को सुबह 6:30 बजे दिल्ली से अमृतसर के लिए रवाना हुए और लगभग 8:15 बजे वहां पहुंचे। वहां से हेलिकॉप्टर के जरिये हम अटारी पहुंचे। जब मैं पाकिस्तानी पक्ष की ओर गया, तो मैंने तौकीर जिया को अकेले खड़ा देखा। वे सिगरेट पी रहे थे और उनकी टोपी तिरछी थी। मैं उनसे पहले सियाचिन वार्ता के दौरान 3-4 बार मिल चुका था, इसलिए मैंने पूछा़- ये क्या तौकीर... अकेले? इस पर तौकीरी ने जवाब दिया- क्या करूं? मियां साब ने जूते खाने के लिए अकेले ही भेज दिया।

बैठक में भारतीय पक्ष की सख्ती

भंडारी ने बताया कि प्रोटोकॉल के अनुसार भारतीय डीजीएमओ अपने पाकिस्तानी समकक्ष से बिना किसी प्रतिनिधिमंडल के साथ अकेले नहीं मिल सकते थे। उन्होंने तौकीर से कहा कि वे सीमा पर तैनात पाक रेंजर्स से कुछ अधिकारियों को औपचारिकता के लिए बुला लें। इसके बाद तीन पाक रेंजर्स अधिकारी उनके साथ शामिल हुए। भंडारी ने कहा कि हमने जानबूझकर उन्हें 10 मिनट इंतजार करवाया क्योंकि करगिल में चल रही शांति वार्ता के बीच पाकिस्तान की हरकतों से हम सभी नाराज थे। बैठक लगभग तीन घंटे तक चली। तत्कालीन भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल निर्मल चंदर विज ने पाकिस्तानी पक्ष को नियंत्रण रेखा से पूर्ण वापसी के लिए स्पष्ट निर्देश दिये। पाकिस्तानी डीजीएमओ ने चुपचाप बातें नोट कीं क्योंकि वे हारने वाले पक्ष में थे। इसके बाद तौकीर और उनके सहयोगी भारतीय पक्ष द्वारा आयोजित लंच के बाद चुपचाप वहां से चले गये।

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