कोलकाता: हर साल की तरह इस बार भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काली पूजा के दिन एक अलग और पारंपरिक रूप दिखीं। अपने घर की पूजा की सारी तैयारियाँ वे खुद देखती हैं और पूजा के सभी रस्म-रिवाज भी अपने हाथों से निभाती हैं। भोग में खुद खिचड़ी बनाना, मेहमानों का स्वागत करना और पूजा स्थल की सजावट में सक्रिय रूप से भाग लेना ममता बनर्जी की इस पवित्र परंपरा का हिस्सा है। इस वर्ष भी कोई अपवाद नहीं हुआ।
इस बार मुख्यमंत्री के घर की काली पूजा 48वें वर्ष में प्रवेश कर गई है। बताया जाता है कि यह पूजा उनकी मां की देखरेख में शुरू हुई थी और अब इसकी जिम्मेदारी ममता बनर्जी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ संभाल रही हैं। सोमवार को पूजा के दिन सुबह से ही मुख्यमंत्री का घर फूलों और रोशनी से सजाया गया था।
ममता बनर्जी पारंपरिक साड़ी में बेहद सरल और सादगीपूर्ण दिखीं। उन्होंने हर पहलू पर खुद नजर रखी और पूजा की सभी तैयारियों का ध्यान रखा। शाम को उन्होंने अपने हाथों से दीप प्रज्ज्वलित किया और पूजा स्थल को पूरी भक्ति के साथ सजाया। घर आये मेहमानों के साथ बातचीत में वे काफी खुशमिजाज और मिलनसार नजर आईं।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी पूजा में शामिल हुए। वे पहले लेक कालीबाड़ी मंदिर गये जहां उन्होंने राज्यवासियों के लिए स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की। इसके बाद वे सीधे कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। उनके साथ उनकी बेटी अजानिया भी थीं।
पारिवारिक माहौल में ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी का एक साथ पूजा में शामिल होना हर साल की परंपरा बनी हुई है। पिछले साल भी अभिषेक बनर्जी ने अपनी आंख के ऑपरेशन के बाद जल्दी ही पूजा में शिरकत की थी। इस बार भी पूरे पारिवारिक माहौल में पूजा का आयोजन किया गया। इस दिन मुख्यमंत्री का घर पर परंपरा और सादगी का सुंदर मेल देखने को मिली।