नयी दिल्ली : भारतीय मूल के ब्रिटिश खगोलशास्त्री डॉ. निक्कू मधुसूदन और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उनकी टीम ने ‘के2-18बी’ नाम के पृथ्वी से ढाई गुना बड़े ग्रह की खोज कर एलियन जीवन के संभावित संकेतों की पहचान की है।
डीएमएस और डीएमडीएस जैसी गैसों की मौजूदगी
मधुसूदन की टीम ने नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) की मदद से इस ग्रह पर डाइमिथाइल सल्फाइड (डीएमएस) और डाइमिथाइल डाइसल्फ़ाइड (डीएमडीएस) जैसी गैसों की मौजूदगी का पता लगाया। ये गैस समुद्र में मौजूद शैवाल से उत्पन्न होती हैं।
हाइसीन ग्रहों पर शोध
मधुसूदन ने हाइसीन ग्रहों, जिन्हें जीवन की तलाश को लेकर ग्रहों का सबसे अच्छा वर्ग माना जाता है, को लेकर शोध किया। हाइसीन ग्रहों का वातावरण हाइड्रोजन से भरा हुआ है और उसके नीचे महासागर हैं। इस शोध में उनके वायुमंडल, अंदरूनी भाग और उनके निर्माण का अध्ययन शामिल है। मधुसूदन के काम में हाइसीन दुनिया, उप-नेपच्यून और बायोसिग्नेचर की खोज भी शामिल है।
‘55 कैनक्री ई’ ग्रह का अध्ययन
उन्होंने 2012 में ‘55 कैनक्री ई’ ग्रह का अध्ययन किया, जो पृथ्वी से बड़ा है और सुझाव दिया कि इसका आंतरिक भाग कार्बन युक्त हो सकता है। उन्होंने 2014 में उस टीम का नेतृत्व किया, जिसने तीन गर्म जुपिटरों में पानी के स्तर को मापा और अपेक्षा से कम पानी पाया। वे 2017 में उस टीम का हिस्सा थे, जिसने डब्ल्यूएएसपी-19बी ग्रह के वायुमंडल में टाइटेनियम ऑक्साइड का पता लगाया था। वहीं 2020 में उन्होंने ‘के2-18बी’ का अध्ययन किया और पाया कि इसकी सतह पर पानी मौजूद हो सकता है।
बीएचयू के छात्र रह चुके हैं मधुसूदन
भारत में 1980 में जन्मे डॉ. मधुसूदन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बीएचयू, वाराणसी से बी.टेक की डिग्री हासिल की। बाद में उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से मास्टर डिग्री के साथ-साथ पीएचडी भी की। उनकी 2009 में पीएचडी थीसिस हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रहों के वायुमंडल का अध्ययन करने के बारे में थी, जिन्हें एक्स्ट्रासोलर ग्रह कहा जाता है। वे वर्तमान में खगोल भौतिकी और एक्सोप्लेनेटरी विज्ञान के प्रोफेसर हैं। डॉ. मधुसूदन को कई पुरस्कारों, जैसे सैद्धांतिक खगोल भौतिकी में ईएएस एमईआरएसी पुरस्कार (2019), शिक्षण में उत्कृष्टता के लिए पिलकिंगटन पुरस्कार (2019), खगोल भौतिकी में आईयूपीएपी युवा वैज्ञानिक पदक (2016) और एएसआई वेणु बापू स्वर्ण पदक (2014) से भी सम्मानित किया गया है।