अमरावती : भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा है कि भारत का संविधान सबसे ऊपर है। हमारे लोकतंत्र के तीनों अंग (न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका) संविधान के अधीन काम करते हैं। न्यायमूर्ति गवई ने साथ ही कहा है कि कुछ लोग कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है लेकिन मेरी राय में संविधान सर्वोपरि है।
हम नागरिकों के अधिकारों और सांविधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक
उच्चतम न्यायालय के 52वें प्रधान न्यायाधीश गवई ने गृहनगर अमरावती में अपने अभिनंदन समारोह में कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को बदल नहीं सकती। उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश को हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा एक कर्तव्य है और हम नागरिकों के अधिकारों और सांविधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। हमारे पास केवल शक्ति नहीं है बल्कि हम पर एक कर्तव्य भी डाला गया है।
हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा
किसी न्यायाधीश को इस बात को लेकर नहीं चलना चाहिए कि लोग उनके फैसलों के बारे में क्या कहेंगे या क्या महसूस करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा। लोग क्या कहेंगे, यह हमारी फैसले लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता। न्यायामूर्ति गवई ने कहा कि मैंने हमेशा अपने निर्णयों और काम को बोलने दिया और हमेशा संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के साथ खड़ा रहा। बुलडोजर न्याय के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रय का अधिकार सर्वोच्च है।