12 फीसदी जजों ने ही घोषित की अपनी संपत्ति

पहले भी आदेश पर कभी शत प्रतिशत अमल नहीं हुआ!
property_diclosure_of_judges
सांकेतिक तस्वीर
Published on

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद अब तक शीर्ष न्यायालय और उच्च न्यायालयों के महज 12 फीसदी न्यायाधीशों ने ही अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की है। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर पर बड़े पैमाने पर नकदी मिलने और उसमें आग लगने के दावों के बीच ऐसा आदेश आय़ा था। न्यायालय ने कहा था कि सभी न्यायाधीशों को उसकी वेबसाइट पर संपत्ति का ब्योरा देना होगा।

1997 में भी आया था प्रस्ताव

यह पहला मौका नहीं है जब शीर्ष न्यायालय ने सभी न्यायाधीशों से उनकी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा हो। इससे पहले 1997 में उच्चतम न्यायालय ने एक प्रस्ताव लाकर कहा था कि शीर्ष न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को अपनी संपत्ति की जानकारी देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को देनी चाहिए। उस प्रस्ताव पर कभी शत प्रतिशत अमल नहीं हुआ। इसके बाद 12 साल बाद एक बार फिर से उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि सभी न्यायाधीशों को अपनी संपत्ति सार्वजनिक कर देनी चाहिए हालांकि यह आदेश नहीं था बल्कि ऐच्छिक था।

18 हाईकोर्टों की वेबसाइट पर कोई जानकारी नहीं

देश के 25 उच्च न्यायालयों और शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों की ओर से वेबसाइटों पर जो जानकारी दी गयी है, उसका अध्ययन करने पर पता चलता है कि 12 फीसदी मौजूदा जजों ने ही संपत्ति घोषित की है हालांकि बताया जाता है कि शीर्ष न्यायालय के 33 में से 30 न्यायाधीशों ने सीजेआई को अपनी संपत्ती का ब्योरा सौंप दिया है लेकिन अब तक उसे वेबसाइट पर नहीं डाला गया है। बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह कोई तकनीकी खामी बतायी जा रही है। उच्च न्यायालयों तो कुल 762 जजों में से 95 ने ही संपत्ति का ब्योरा दिया है। देश के करीब 18 उच्च न्यायालय ऐसे हैं, जिनकी वेबसाइट पर जजों की दौलत के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन 18 में देश का सबसे बड़ा इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी शामिल है।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in