भाजपा नेता को सीजेआई ने दिया झटका!

क्या संसद ने आपकी याचिका पढ़ने के बाद ही कानून बनाया? : कोर्ट ने याची से पूछा
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नयी दिल्ली : जनहित याचिकाएं दायर करने के लिए चर्चित वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय को उच्चतम न्यायालय ने उस वक्त करारा झटका दिया जब उनकी 1995 के वक्फ कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय से शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका सुनवाई के लिए सामने आयी। शीर्ष न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि क्या संसद ने उनकी याचिका पढ़ने के बाद ही कानून बनाया था?

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वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय

अखबार पढ़ा और केस फाइल : कोर्ट ने कहा

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई के पीठ के समक्ष मंगलवार (22 जुलाई) को जैसे ही उपाध्याय की याचिका आयी तो पीठ याची वकील पर ही भड़क उठा हालांकि पीठ ने सधे शब्दों में याची वकील से कुछ ऐसा कहा कि उन्होंने अपनी अर्जी ही वापस ले ली। याचिका पर पीठ के सामने शुरू हुई तो उपाध्याय ने कहा कि इस मामले में मैं पहला व्यक्ति था, मेरी याचिका से ही यह बात सामने आयी कि वक्फ ने ऐसी जमीन कैसे हड़पी। पीठ ने व्यंगात्मक लहजे में कहा कि आप तो हमेशा पहले होते हैं और हमेशा दोषपूर्ण। तो क्या संसद ने आपकी याचिका पढ़ने के बाद ही कानून बनाया था? आप चाहें तो इस मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर कर सकते हैं। हमेशा अखबार पढ़ते रहते हैं और याचिकाएं दायर करते रहते हैं। इसके बाद पीठ ने कहा कि आपकी याचिका स्वीकार करने का हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है।

कोर्ट पर भेदभाव का आरोप लगा चुके हैं उपाध्याय

गौरतलब है कि उपाध्याय ने 2021 में जब वक्फ कानून को चुनौती दी थी, तो शीर्ष न्यायालय ने उनसे यह पूछा था कि उनकी कितनी जमीन पर कब्जा किया गया है। तब उन्होंने आरोप लगाया था कि न्यायालय में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है क्योंकि जब इमरान प्रतापगढ़ी और ओवैसी उच्चतम न्यायालय पहुंचे थे, तो न्यायालय ने उनसे यह नहीं पूछा कि उनके पूर्वजों ने कितनी जमीन वक्फ की है।

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