भाजपा को लेकर दिलीप घोष को सार्वजनिक टिप्पणी करना उचित नहीं : शंकर घोष

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बदलने की मांग पर भाजपा के मुख्य सचेतक ने की टिप्पणी
भाजपा को लेकर दिलीप घोष को सार्वजनिक टिप्पणी करना उचित नहीं : शंकर घोष
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कोलकाता . पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस को हटाना हर भाजपा कार्यकर्ता का लक्ष्य है। इसके लिए संगठन के स्तर पर जो जरूरी है वह करना चाहिए। संगठन में शीर्ष स्तर पर बैठे लोग यह कार्य कर भी रहे हैं। दिलीप घोष को भाजपा या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर सार्वजनिक मंच पर बोलना उचित नहीं है। वैसे वे हमसे वरिष्ठ नेता हैं। उनके संबंध में मैं विशेष टिप्पणी नहीं करूंगा। यह कहना है पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक शंकर घोष का। उनसे सवाल किया गया था कि दिलीप घोष चाहते हैं कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की घोषणा कर दी जाए। दिलीप घोष ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सफलता पाने के लिए प्रदेश के अध्यक्ष की घोषणा करनी चाहिए।

ये थे प्रदेश भाजपा के चर्चित अध्यक्ष

1991 से 2025 तक भाजपा के कई नेता प्रदेश अध्यक्ष बने, लेकिन इनमें तपन सिकदर, राहुल सिन्हा, तथागत राय, दिलीप घोष और सुकांत मजूमदार सबसे चर्चित रहे। इनमें दिलीप घोष का ग्राफ सबसे बेहतर माना जाता है। वे 2015 से 2021 तक प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। इस दौरान भाजपा को बंगाल में बड़ी सफलता मिली। इस सफलता के लिए दिलीप घोष के नेतृत्व क्षमता को कुछ भाजपा कार्यकर्ता दाद भी देते हैं।

2021 में सपने नहीं हुए पूरे, 2026 में है उम्मीद

बंगाल की सत्ता पर काबिज होेने के भाजपा के सपने 2021 में पूरे नहीं हुए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जब 18 सीटें मिली थीं, तब सभी को लगने लगा था कि बंगाल की गद्दी पर भाजपा आसीन हो जाएगी। पर सभी भाजपाइयों के सपने धराशायी हो गए। अब उनकी निगाहें 2026 के विधानसभा चुनाव पर टिकी है। इसलिए प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की मांग दिलीप घोष करने लगे हैं।


पार्टी के ही कार्यकर्ता दिलीप को संदेह की नजर से लगने हैं देखने

हालांकि इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ दीघा के जन्नाथधाम में हुई मुलाकात को लेकर उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ता उनको संदेह की नजर से देखने लगे हैं। मालूम हो कि 2021 विधानसभा चुनाव में भाजपा को 77 सीटें मिली। यह चुनाव भी बंगाल में भाजपा ने दिलीप घोष के नेतृत्व में ही लड़ा। इसके बाद सुकांत मजूमदार को बंगाल का बागडोर सौंपा गया।

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