

सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : भटके हुए कुत्तों की बढ़ती आबादी के प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग जिला प्रशासन तथा ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग से ‘पॉज’ पहल को सक्रिय रूप से लागू कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य भटके हुए पशुओं की आबादी का मानवीय, वैज्ञानिक और स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करना है। ‘पॉज’ पहल के तहत 25 जुलाई, 2025 को एक ओरिएंटेशन-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें जिला प्रशासन, नगरपालिका परिषद, ग्रामीण विकास विभाग, जनजातीय परिषद, पंचायती राज संस्थाओं के सदस्य तथा कॉलेज के छात्र सहित सभी संबंधित हितधारकों ने भाग लिया। यद्यपि भटके हुए पशुओं के नियंत्रण और प्रबंधन की जिम्मेदारी वैधानिक रूप से पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के अंतर्गत आती है, इसके बावजूद पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग ने समन्वित और मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए पशु जन्म नियंत्रण, नसबंदी और टीकाकरण जैसी आवश्यक पशु चिकित्सा सेवाओं के लिए स्वेच्छा से सहयोग प्रदान किया है। इस पहल के अंतर्गत इस माह डॉ. मोहम्मद और डॉ. बलजीत कौर के नेतृत्व में दो समर्पित पशु चिकित्सा टीमें क्रमशः शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप में तैनात की गईं। इन टीमों ने पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत शहीद द्वीप में 91 तथा स्वराज द्वीप में 121 भटके हुए पशुओं को सफलतापूर्वक कवर किया।
कार्यक्रम के दौरान ग्राम पंचायत शहीद द्वीप की प्रधान पिंकी दास, श्याम नगर के प्रधान श्री आलोक मृधा, गोविंद नगर के प्रधान अजीत रॉय, प्राथरापुर ब्लॉक की बीडीओ गुरजीत कौर, स्वराज द्वीप के पंचायत सचिव सुधांशु विश्वास और सी. अलीना ने अस्थायी डॉग शेल्टर, भोजन और प्रबंधन की व्यवस्था में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। इसके अतिरिक्त, श्री विजय पुरम नगरपालिका परिषद द्वारा प्रशिक्षित डॉग कैचर्स उपलब्ध कराए गए, जिन्होंने स्थानीय स्वयंसेवकों को मानवीय तरीके से कुत्तों को पकड़ने का प्रशिक्षण दिया।
स्वराज द्वीप में प्राप्त सफलता से उत्साहित होकर अब उत्तरी और मध्य अंडमान के लिए भी इसी तरह की पशु चिकित्सा टीमें गठित की गई हैं।
संबंधित जिला प्रशासन और स्थानीय निकायों के समन्वय से रंगत और डिगलीपुर में भी अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है, जहां अधिकतम संख्या में भटके हुए कुत्तों की नसबंदी के साथ-साथ आम जनता और स्कूली बच्चों को जागरूक किया जाएगा।
विभाग ने नागरिकों, प्रधानों और स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों से सहयोग की अपील की है। प्रशासन ने भटके हुए पशुओं की सूचना के लिए ईआरएसएस-112 हेल्पलाइन भी नामित की है।