ट्रंप के टैरिफ से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को बड़ी राहत, दो हफ्ते नहीं होगा लागू : जानें वजह

भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री फिलहाल अमेरिकी टैरिफ से सुरक्षित है
ट्रंप के टैरिफ से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को बड़ी राहत
ट्रंप के टैरिफ से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को बड़ी राहत
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नई दिल्ली : भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री फिलहाल अमेरिकी टैरिफ से सुरक्षित है, लेकिन यह राहत अस्थायी है। सरकार को अगले दो हफ्तों में डिप्लोमैटिक और व्यापारिक स्तर पर तेज प्रयास करने होंगे, ताकि 'मेक इन इंडिया', निर्यात और भारत की तकनीकी ताकत पर बुरा असर न पड़े।

भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को अमेरिका की तरफ से लगाए जाने वाले प्रस्तावित टैरिफ से फिलहाल दो हफ्तों की राहत मिली है। यह जानकारी सरकारी और उद्योग से जुड़े सूत्रों ने दी है। ये राहत इसलिए मिली है क्योंकि एक अहम सेक्शन (धारा 232) की समीक्षा अभी बाकी है, जो भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय बातचीत का हिस्सा है।

ट्रंप ने कल 25 फीसदी टैरिफ का किया एलान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की कि 1 अगस्त से भारत से आने वाले सभी सामानों पर 25 प्रतिशत टैक्स (टैरिफ) लगाया जाएगा। इसके अलावा, भारत की तरफ से रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने के लिए भी एक अलग जुर्माना तय की जाएगी, जिसकी अभी घोषणा नहीं की गई है।

क्या है सेक्शन 232?

धारा 232 अमेरिका का एक व्यापार कानून है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कुछ उत्पादों पर विशेष शुल्क लगाने की अनुमति देता है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और तकनीकी सामान भी शामिल हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 'धारा 232 की समीक्षा दो हफ्ते बाद होगी। पहले जब अमेरिका ने 10% बेसिक ड्यूटी लगाई थी, तब भी तकनीकी उत्पादों को इस समीक्षा के चलते छूट दी गई थी। अभी की स्थिति में भी यही उम्मीद है, लेकिन दो हफ्ते बाद क्या होगा, यह कहना मुश्किल है।'

ट्रंप के टैरिफ का उद्योग पर असर, सरकार की रणनीति

भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है, खासकर मोबाइल फोन, लैपटॉप, सेमीकंडक्टर और आईटी हार्डवेयर सेक्टर पर इस टैरिफ का सीधा असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये शुल्क लागू होते हैं तो इससे भारतीय कंपनियों की अमेरिका में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता कमजोर हो सकती है। 'मेक इन इंडिया' के तहत बनने वाले उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में नुकसान हो सकता है। सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और अमेरिका के साथ चल रही बातचीत में भारत के हितों की रक्षा करने का प्रयास कर रही है। अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

टैरिफ का भू-राजनीतिक पहलू

अमेरिका की तरफ से लगाया गया यह टैरिफ सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव का भी संकेत है। अमेरिका नहीं चाहता कि भारत रूस से रक्षा उपकरण और तेल खरीदता रहे। यह जुर्माना उसी के तहत एक दबाव तकनीक है। भारत अब 'रणनीतिक स्वतंत्रता' और 'अंतरराष्ट्रीय व्यापार दबाव' के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।

आगे क्या हो सकता है?

दो हफ्ते के भीतर सेक्शन 232 पर अमेरिकी समीक्षा होगी। यदि छूट जारी रही, तो भारत को राहत मिलेगी। यदि शुल्क लागू होता है, तो भारत को डब्ल्यूटीओ या द्विपक्षीय बातचीत के जरिए कूटनीतिक लड़ाई लड़नी पड़ेगी। नई व्यापार नीतियां, निर्यात सब्सिडी और स्थानीय विनिर्माण बढ़ाने के उपाय करने होंगे।

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