

वाशिंगटन : कांग्रेस नेता शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी सांसदों, अधिकारियों, विभिन्न ‘थिंक टैंक’ के सदस्यों एवं नीतिगत मामलों के विशेषज्ञों से मुलाकात करेगा और उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’, भारत के सामने मौजूद आतंकवाद की चुनौती और क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी स्थिति की जानकारी देगा। यह प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को अमेरिका की राजधानी पहुंचा और गुरुवार तक यहां रहेगा। यह सर्वदलीय समूह अमेरिकी सांसदों, अमेरिकी ‘थिंक टैंक’ के सदस्यों और मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत करेगा।
विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जी हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी (भारतीय जनता पार्टी), भुवनेश्वर कालिता (भारतीय जनता पार्टी), मिलिंद देवरा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भारतीय जनता पार्टी) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं।
यहां भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन डीसी पहुंचा है। प्रतिनिधिमंडल अगले दो दिन में अमेरिकी संसद और प्रशासन के सदस्यों, थिंक टैंक, मीडिया और नीति निर्माताओं से मुलाकात करेगा तथा उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख के बारे में जानकारी देगा।’
काफी सह चुका है भारत
प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के विरुद्ध भारत के संकल्प से अमेरिका को अवगत कराएगा तथा आतंकवाद के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर जोर देगा। मिलिंद देवरा ने कहा कि अमेरिका में मौजूद प्रतिनिधिमंडल और दुनिया के अन्य क्षेत्रों और देशों का दौरा कर रहे ऐसे सर्वदलीय समूह दुनिया को बता रहे हैं कि ‘भारत काफी सह चुका है। अब तक उन्होंने जिन भी देशों का दौरा किया है, लगभग उन सभी ने ‘भारत के पक्ष में बहुत ही स्पष्ट और बिना शर्त वाले बयान जारी किए हैं।’
देवरा ने कहा कि जिस तरह अमेरिका जैसे देशों के पास खुद की रक्षा करने और आतंकवादियों को खत्म करने का पूरा अधिकार है, उसी तरह ‘भारत को भी यही अधिकार है। भारत के विकास के लिए, भारत की अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने के लिए, भारत में अमेरिकी निवेश को जारी रखने के लिए भारत में शांति की आवश्यकता है। भारत को मजबूत सीमाओं की आवश्यकता है। भारत को सुरक्षा की आवश्यकता है। हम शांति से रहना चाहते हैं। हम चाहेंगे कि हमारे पड़ोसी देशों में स्थिरता हो। कोई भी नहीं चाहता कि उसके बगल में एक अस्थिर सनकी रहे।’