आरटीआई को कमजोर करती है डीपीडीपी कानून की धारा 44-3 : ‘इंडिया’

‘इंडिया’ के घटक दलों के 120 सांसद वैष्णव को सौंपेंगे संयुक्त ज्ञापन
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‘इंडिया’ के घटक दलों की ओर से प्रेस को संबोधित करते कांग्रेस के नेता गौरव गोगोई
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नयी दिल्ली : विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने गुरुवार को ‘डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण’ (डीपीडीपी) अधिनियम की धारा 44(3) को निरस्त करने की मांग करते हुए दलील दी कि यह सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून को कमजोर करती है।

120 सांसदों ने किये संयुक्त ज्ञापन पर हस्ताक्षर

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने यहां साझा प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के 120 से अधिक सांसदों ने इस धारा को निरस्त करने के लिए एक संयुक्त ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं और इसे सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को सौंपा जायेगा।

प्रेस कांफ्रेंस में शामिल हुए नेता

प्रेस कांफ्रेंस में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता एमएम अब्दुल्ला, शिवसेना (उबाठा) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, माकपा के नेता जॉन ब्रिटास, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता जावेद अली खान और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता नवल किशोर शामिल हुए। गोगोई ने कहा कि नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44(3) का विरोध किया है, जिसके जरिये आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(जे) को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।

धारा 8(1)(जे) के तहत व्यक्तिगत जानकारी देने से रोकने की अनुमति

आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) के तहत व्यक्तिगत जानकारी देने से रोकने की अनुमति दी गयी है, यदि उसका खुलासा किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से संबंधित नहीं है या इससे निजता का अनुचित उल्लंघन होता है। यह प्रतिबंध हालांकि एक महत्वपूर्ण सुरक्षा के अधीन है। डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44(3) आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) में संशोधन करती है, जो सरकारी निकायों को ‘व्यक्तिगत जानकारी’ देने से प्रतिबंधित करती है, जिसमें सार्वजनिक हित या किसी अन्य अपवाद पर विचार नहीं किया जाता है।

निजी विवरणों का खुलासा अब भी आरटीआई कानून के अधीन : वैष्णव

दूसरी ओर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि विभिन्न कानूनों के तहत सार्वजनिक खुलासे का विषय होने वाले व्यक्तिगत विवरणों को नया डेटा संरक्षण नियम लागू होने के बाद भी आरटीआ अधिनियम के अधीन जारी किया जाता रहेगा। उन्होंने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता जयराम रमेश के लिखे एक पत्र के जवाब में सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिये यह स्पष्टीकरण दिया है।

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