नयी दिल्ली : ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान दुनिया को भारत की ताकत का अहसास कराने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का जल्द ही हाइपरसोनिक वेरिएंट आने वाला है। ब्रह्मोस का हाइपरसोनिक वेरिएंट भारत और रूस के साझा प्रयास से बनने जा रहा है।
हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोजेक्ट काम शुरू हो चुका है
ब्रह्मोस एअरोस्पेस के पूर्व महानिदेशक अतुल राणे ने ‘रशिया टुडे’ से बातचीत में कहा कि ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल को लेकर काम शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि दोनों ही देश इस परियोजना में जुट गये हैं। गौरतलब है कि ब्रह्मोस मिसाइल का नाम ही भारत और रूस की दो नदियों ‘ब्रह्मपुत्र’ और ‘मोस्कवा’ पर रखा गया है। इस परियोजना में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की 50.50 फीसदी और रूसी कंपनी की 49.50 फीसदी हिस्सेदारी है।
क्याें खास है ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल?
ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल की गति के बारे में आधिकारिक जानकारी तो सामने नहीं आयी है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह आवाज की गति से 8 गुना तेजी से चलायी जा सकती है। इसके अलावा इसकी रेंज 1500 किलोमीटर से ज्यादा होगी। ऐसे में कहा जा सकता है कि पाकिस्तान और चीन का बड़ा इलाका इसकी जद में होगा। इसकी स्पीड मैक-8 या मैक-9 तक हो सकती है। जिसका मतलब है कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल 11000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वार कर सकती है।
आयरन डोम भी नहीं रोक पायेगा!
ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल किया जायेगा। यह हवा में ऑक्सीजन को खींचकर लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसके अलावा इसका वजन भी कम होगा जिससे आसानी से तेजस विमान से भी इसे लॉन्च किया जा सकेगा। इजरायल के आयरन डोम एअर डिफेंस सिस्टम को काफी एडवांस माना जाता है लेकिन माना जा रहा है कि इसके लिए भी ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल को रोकना मुश्किल होगा। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में शामिल हो जायेगी। यह मिसाइल न सिर्फ तेज गति से अपने लक्ष्य को भेद सकती है बल्कि तेजी से मुड़ भी सकती है। ऐसे में दुश्मन के लिए इसे इंटरसेप्ट करना आसान नहीं होगा। यह दुश्मन के रडार सिस्टम को भी मात देने में सक्षम होगी।