मायाबंदर पॉक्सो मामले में दोषी को 20 वर्ष कठोर कारावास

विशेष न्यायाधीश शुभजीत बसु ने रवि बावा को दोषी ठहराया, 60,000 रुपये जुर्माना भी लगाया
मायाबंदर पॉक्सो मामले में दोषी को 20 वर्ष कठोर कारावास
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सन्मार्ग संवाददाता
मायाबंदर: थाना मायाबंदर में दर्ज एफआईआर संख्या 34/2023, दिनांक 3 जुलाई 2023 के तहत एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामले में उत्तर एवं मध्य अंडमान जिला, मायाबंदर के पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत विशेष न्यायाधीश शुभजीत बसु ने आरोपी रवि बावा को दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह निर्णय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 235(2) तथा पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत लिया गया।

मामले की जांच निरीक्षक ग्रेस फील्ड द्वारा की गई, जिन्होंने पूरी विवेचना की जिम्मेदारी संभाली। जांच की समग्र निगरानी थाना प्रभारी पी.के. अब्दुल आरिफ के निर्देशन में हुई। उन्होंने सुनिश्चित किया कि जांच समयबद्ध तरीके से पूरी हो और आरोप पत्र न्यायालय में सही समय पर प्रस्तुत किया जाए।

11 दिसंबर 2025 को सुनाए गए इस निर्णय में न्यायालय ने दोषी को 20 वर्ष के कठोर कारावास के साथ 60,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यदि आरोपी यह जुर्माना अदा नहीं करता है, तो उसे अतिरिक्त 6 माह का साधारण कारावास भुगतना होगा। जुर्माने की राशि, यदि वसूल होती है, तो उसे धारा 357 सीआरपीसी के तहत पीड़िता के पुनर्वास के लिए उसकी माता को दिया जाएगा।

आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि विचारण अवधि के दौरान दोषी द्वारा पहले से भोगी गई सजा की अवधि को समायोजित किया जाएगा। न्यायालय ने धारा 357ए सीआरपीसी और पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत यह भी निर्देश दिया कि पीड़िता और उसके परिवार को उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।

राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक केशव चंद्र मंडल ने पैरवी करते हुए मामले की विधिक प्रक्रिया को सटीक रूप से पूरा किया। न्यायालय ने कहा कि यह निर्णय न केवल न्याय की उपलब्धि है, बल्कि बच्चों और कमजोर वर्ग की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण संदेश है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पॉक्सो अधिनियम के तहत ऐसे कठोर निर्णय बच्चों के प्रति अपराधियों के लिए एक चेतावनी हैं और समाज में सुरक्षा एवं न्याय की भावना को मजबूत करते हैं। यह सजा अंडमान में बच्चों की सुरक्षा और संवेदनशील मामलों में न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

इस प्रकार, रवि बावा को सुनाई गई यह सजा सख्त और न्यायोचित निर्णय के रूप में याद रखी जाएगी, जो भविष्य में बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने में सहायक साबित होगी।

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