कहीं जीवित को 'मृत' तो कहीं मौजूद को दिखाया 'लापता'

In some cases, living people were declared 'dead', while in others, those who were present were shown as 'missing'.
सांकेतिक फोटो REP
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निधि, सन्मार्ग संवाददाता

बरानगर : बरानगर और न्यू बैरकपुर नगरपालिका क्षेत्रों में हाल ही में प्रकाशित की गई ड्राफ्ट (खसड़ा) मतदाता सूची ने नागरिकों के बीच भारी आक्रोश और हड़कंप मचा दिया है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज में इतनी बड़ी लापरवाही सामने आई है कि कई परिवारों का नाम ही सूची से गायब है, जबकि कई जीवित व्यक्तियों को सरकारी कागजों में 'मृत' घोषित कर दिया गया है।

अजीबोगरीब गलतियां और नागरिकों का दर्द

मतदाता सूची के पुनरीक्षण के बाद जब ड्राफ्ट सूची सामने आई, तो उसमें मानवीय और तकनीकी त्रुटियों की भरमार दिखी।

  • जिंदा को बताया मृत: न्यू बैरकपुर के वार्ड नंबर 9 (आगापुर) की निवासी तापसी बाला उस समय गहरे सदमे में आ गईं, जब उनके बेटे ने बताया कि सूची में उन्हें 'मृत' दिखाया गया है। तापसी बाला ने क्षोभ जताते हुए कहा, "मैं पूरी तरह जीवित हूँ, फिर भी आयोग की गलती के कारण मुझे खुद को जिंदा साबित करने के लिए दोबारा फॉर्म भरना पड़ रहा है।"

  • लापता और स्थानांतरित का ठप्पा: बरानगर के वार्ड 9 के निवासी सुनील दास ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी सिञ्जिनी दास (जो पेशे से वकील हैं) और उनके कॉलेज छात्र भतीजे सोहम दास को बीएलओ (BLO) ने फॉर्म ही नहीं दिया, लेकिन अब सूची में उन्हें 'लापता' दिखा दिया गया है।

  • रसीद होने पर भी नाम कटा: वार्ड 13 के आदित्य विश्वास के पास बीएलओ के हस्ताक्षर वाली रसीद मौजूद है, फिर भी सूची में उन्हें 'स्थायी रूप से स्थानांतरित' (Permanently Shifted) श्रेणी में डाल दिया गया है।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

इस अव्यवस्था ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। तृणमूल कांग्रेस के दमदम–बैरकपुर संगठनात्मक जिला उपाध्यक्ष रामकृष्ण पाल ने इसके लिए सीधे तौर पर चुनाव आयोग और कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएलओ पर बहुत कम समय में काम पूरा करने का अमानवीय दबाव डाला गया था। इसी हड़बड़ी के कारण डेटा एंट्री में इतनी गंभीर खामियां रहीं और बिना जमीनी जांच के ही लोगों को 'मृत' या 'लापता' दिखा दिया गया।

प्रशासनिक रुख और सुधार की प्रक्रिया

चुनाव आयोग की ओर से इन गलतियों को स्वीकार करते हुए इसे 'तकनीकी त्रुटि' बताया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह एक ड्राफ्ट सूची है और इसीलिए प्रकाशित की गई है ताकि लोग अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकें। प्रभावित मतदाताओं को सलाह दी गई है कि वे जल्द से जल्द संबंधित कार्यालय में जाकर सुधार के लिए जरूरी फॉर्म भरें। वर्तमान में, सैकड़ों लोग दोबारा लाइन में लगकर अपने अस्तित्व और निवास का प्रमाण देने को मजबूर हैं।

यह स्थिति न केवल प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है, बल्कि उन योग्य मतदाताओं के मन में भी डर पैदा कर रही है जो आगामी चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहते हैं।

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