आईआईटी गुवाहाटी में प्रवेश पाने वाले नागराकाटा के विवेक लामा ने रचा इतिहास

आईआईटी गुवाहाटी में प्रवेश पाने वाले नागराकाटा के विवेक लामा ने रचा इतिहास
Munmun
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सन्मार्ग संवाददाता

नागराकाटा : अखिल भारतीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई एडवांस्ड) में शानदार रैंक हासिल कर आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित नागराकाटा के एकलव्य मॉडल स्कूल के छात्र विवेक लामा को गुवाहाटी आईआईटी में पढ़ाई का मौका मिला है। कालचीनी के बंद दलसिंगपाड़ा चाय बागान के नया लाइन क्षेत्र के निवासी विवेक अब वहां "मैथमैटिक्स एंड कंप्यूटिंग" विषय में बीटेक की पढ़ाई करेगा। इस वर्ष की उच्च माध्यमिक परीक्षा में भी उसने 95% से अधिक अंक प्राप्त किए थे, जिसमें उसके प्रिय विषय गणित में उसे पूरे 100 अंक मिले। विवेक ने बताया कि उसने न तो कोई कोचिंग ली और न ही कोई प्राइवेट ट्यूटर रखा। वह स्कूल के छात्रावास में रहकर शिक्षकों के मार्गदर्शन में पढ़ाई करता था। पाठ्यपुस्तकों का गहराई से अध्ययन और यूट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की मदद से उसे बेहतर परिणाम लाने में सहायता मिली। विवेक लामा ने बताया कि भविष्य में मैं गणित को लेकर ही आगे बढ़ना चाहता हूं। मेरा संदेश है कि अगर आप ईमानदारी और मेहनत से प्रयास करें तो सफलता जरूर मिलेगी। मैं पहले गणित में कमजोर था और डर भी लगता था, लेकिन बार-बार अभ्यास करने से मैं इस डर से बाहर निकल सका और गणित मेरा प्रिय विषय बन गया। जेईई एडवांस्ड में अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के तहत उसकी ऑल इंडिया रैंक 225 रही, जबकि जेईई मेन्स में उसकी रैंक 238 थी। पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा (डब्ल्यूबीजेईई) का परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ है, लेकिन वहां भी अच्छे रैंक की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं आदिवासी विकास विभाग के परियोजना अधिकारी प्रवीण लामा ने कहा कि विवेक जैसे छात्र दूरदराज के क्षेत्रों के बाकी विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणा हैं। उसकी यह सफलता हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। हम उसके और बेहतर भविष्य की कामना करते हैं। संबंधित सूत्रों के अनुसार एकलव्य स्कूल में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं चाय बागानों से आने वाले अनुसूचित जनजाति समुदाय के विद्यार्थी हैं। इससे पहले भी इस स्कूल से कई छात्र-छात्राएं नीट परीक्षा पास कर मेडिकल की पढ़ाई का मौका पा चुके हैं, लेकिन विवेक की सफलता के जरिए आईआईटी में प्रवेश पाने वाला यह पहला अवसर है। विवेक के पिता बुद्ध लामा चाय बागान में एक छोटी सी किराना दुकान चलाते हैं, जबकि मां अनूपा एक गृहिणी हैं। 

विवेक के पिता ने कहा

विवेक के पिता बुद्ध लामा ने बताया कि यह बागान कभी खुला रहता है, कभी बंद। वर्तमान में यह बंद है और बेहद अस्थिरता में दिन गुजरते हैं। बेटे की आगे की पढ़ाई को लेकर चिंता है। वहीं मां अनूपा की आंखों में बेटे की इस सफलता से खुशी के आंसू हैं। उन्होंने कहा कि हमने बहुत कठिनाई से बेटे को पढ़ाया है और उसने उसका पूरा प्रतिफल हमें दे दिया है। हमें उस पर गर्व है। विवेक की सफलता से बंद पड़े चाय बगान में भी खुशी की लहर है। कई लोग उसे शुभकामनाएं दे रहे हैं। अत्यंत विनम्र और शालीन स्वभाव वाले विवेक का कहना है, "मुझे अभी बहुत दूर जाना है। मैं मानता हूँ कि जीवन में स्थापित होने का रास्ता अब शुरू हुआ है।

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